Hindi, asked by anu5228, 11 months ago

hindi easy on bharat mata​

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Answered by iniyaprathiksha
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तरुणा जोशी

मैं माता हूं, अपने बेटों की खुशहाली चाहती हूं। मेरी हैरानी-परेशानी का सबब आज का बदलता परिवेश है। मैं जानती हूं समय के साथ सब बदलता है और यही प्रकृति का नियम है। लेकिन यह बदलाव मेरे पुत्रों को पतन के रास्ते पर ले जाते दिखे तो दिल में पीड़ा होती है।

कभी मैं गुलामी की जंजीरों में जकड़ी थी। मेरे सपूतों ने अपनी जान की बाजी लगाकर मुझे उन कठोर जंजीरों से मुक्त किया। उस समय मैं खुलकर हंसी थी, चहकी थी, मेरी उन्मुक्त खिलखिलाहट चारों ओर फैल गई थी। मेरी आंखों में सुनहरे भविष्य के सतरंगी सपने तैरने लगे कि अब फिर से स्थितियां बदलेंगी। अब मेरा कोई बेटा भूखा और बेसहारा नहीं होगा। मेरी बेटियां फिर से अपने गौरव को पहचानेंगी और मान-सम्मान पा सकेंगी। मेरे नन्हे बच्चे अपने मजबूत हाथों से मेरे गौरवपूर्ण अतीत को भविष्य में बदलेंगे जैसी कि पहले मेरी ख्याति थी, वह मैं फिर से पा सकूंगी।

पर ये क्या.... मैं ये क्या देख रही हूं! ये मेरे नौनिहाल जिनके दम पर मैंने अपने मजबूत भविष्य के सपने संजोए हैं, इन्हें कुछ इस तरह समझाया गया है कि ये अपने पाठ्यक्रम को रटे-रटाए तरीके से पूरा करके अगली कक्षा में जाने को ही अपना भविष्य समझ बैठे। इन्हें समझाने वाले मेरे ही बेटों ने इनकी बुनियादी शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ये क्या हुआ....? सफलता का मापदंड भविष्य मैं ज्यादा से ज्यादा कमाना, बंगला, गाड़ी और बैंक बैलेंस बन गया।

आज मेरे नन्हे बच्चों के पास इतना समय नहीं कि वे स्वच्छंदता से कागज की नाव पानी पर तैरा सकें। मेरी मिट्टी में लिपटकर कर मेरे साथ खेलें और मैं भी चुपके उन्हें कुछ सिखा सकूं। आपाधापी के इस युग-संस्कृति ने उनके चेहरों से मासूमियत छीन ली, होमवर्क के बोझ ने उन्हें समय से पहले बड़ा बना दिया। बस्तों के बोझ ने उनकी स्वाभाविक लंबाई छीन ली।

Answered by darshanumesh4
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