Hindi ekanki ka Janak Kise Mana jata hai
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Hindi EKanki ke ..Janak ...Bhuvneshwar ji the___/\__/\__
हिंदी एकांकी के जनक थे "भुवनेश्वर "
भुवनेश्वर हिंदी एकांकी के जनक हैं। भुवनेश्वर का जन्म 20 जून 1912 को हुआ । वह विश्व के पहले असंगत नाटककार हैं | नाटकों के अलावा उन्होंने बहुत कुछ लिखा।
"भेड़िये" उनकी सबसे लोकप्रिय कहानी रही है।
हिंदी के प्रसिद्ध एकांकीकार, लेखक एवं कवि थे। भुवनेश्वर साहित्य जगत का ऐसा नाम है, जिसने अपने छोटे से जीवन काल में लीक से अलग किस्म का साहित्य सृजन किया। भुवनेश्वर ने मध्य वर्ग की विडंबनाओं को कटु सत्य के प्रतीरूप में उकेरा। उन्हें आधुनिक एकांकियों के जनक होने का गौरव भी हासिल है। एकांकी, कहानी, कविता, समीक्षा जैसी कई विधाओं में भुवनेश्वर ने साहित्य को नए तेवर वाली रचनाएं दीं। एक ऐसा साहित्यकार जिसने अपनी रचनाओं से आधुनिक संवेदनाओं की नई परिपाटी विकसित की।
प्रेमचंद जैसे साहित्यकार ने उनको भविष्य का रचनाकार माना था। इसकी एक ख़ास वजह यह थी कि भुवनेश्वर अपने रचनाकाल से बहुत आगे की सोच के रचनाकार थे। उनकी रचनायों में कलातीतता का बोध है, परन्तु आश्चर्यजनक रूप से यह भूतकाल से न जुड़ कर भविष्य के साथ ज्यादा प्रासंगिक नज़र आती हैं। ‘कारवां’ की भूमिका में स्वयं भुवनेश्वर ने लिखा है कि ‘विवेक और तर्क तीसरी श्रेणी के कलाकारों के चोर दरवाज़े हैं”। उनका यह मानना उनकी रचनाओं में स्पष्टतया द्रष्टिगोचर भी होता भी है। इंसान को वस्तु में बदलते जाने की जो तस्वीर उन्होंने उकेरी, वो आज के समय में और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।