hindi essay badalne ki chamta hi buddhimatta ka map hai in 500 words
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बादल आसमान की खुबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं और पृथ्वी पर मौसम को वातानुकुलित रखते हैं। यह लाल भूरे और सफेद रंग के दिखाई देते हैं। बादल पानी की बूँदो और बर्फ के क्रिस्टल के संग्रहों से बने हुए हैं। समुद्र, झीलों तालाब आदि से भाप बनकर उठे पानी से बनते हैं। यह 1-1.5 किलोमीटर तक लंबे चौड़े हो सकते हैं और इनका वजन 500 किलो तक हो सकता है। जब बादल ज्यादा भारी हो जाते हैं तब वर्षा होती है। बादल मौसम के बारै में ग्यात करने में सबसे ज्यादा सहायक है। भूरे रंग के बादल तुफान के आने का संकेत देते हैं।
बादलों को बहुत सी जगह पर शुभ भी माना जाता है। बादल किसानों के लिए खुशी का संकेत है क्योंकि ये वर्षा करवाने में सहायक है। सूर्य की किरणों के कारण बादल सफेद रंग के दिखाई देते हैं। बादल चार प्रकार के होते हैं सीररस बादल, क्युमुलस बादल, स्ट्ररस बादल और नीम्बो स्ट्ररस बादल। सीररस बादल आसमान में बहुत ही ऊँचाई पर उड़ते हुए नजर आते हैं। क्युमुलस बादल नीचे तैरते हैं और यह कपास की तरह दिखाई देते हैं। स्ट्ररस और निम्बो स्ट्ररस बादल आसमान में ज्यादा ऊँचाई पर नहीं होते हैं। बादल विभिन्न आकृति बनाते हुए प्रतीत होते हैं।
बादल दोपहर के समय में सफेद और सुबह और शाम के समय लाल रंग के प्रतीत होते हैं। कई बार जब दो भारी बादल एक दुसरे से या फिर किसी पहाड़ी से टकरा जाते हैं तो भारी बारिश होती है जिसे बादल का फटना कहा जाता है और यह एक प्राकृतिक घटना है। बादल के फटने से बाढ़ और भूकंप आने के अवसर पढ़ जाते हैं। सबसे ज्यादा बादल दुनिया में अंटार्टिका हिंदमहासागर के उपर दिखाई देते हैं। हल्के हल्के सफेद बादल तो हमेशा ही आसमान में दिखाई देते हैं और वह सभी के मन को मोह लेते हैं।
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सदियों से नारी को एक वस्तु तथा पुरुष की संपत्ति समझा जाता रहा है। पुरुष नारी को पीट सकता है, उसके दिल और शरीर के साथ खेल सकता है, उसके मनोबल को तोड़कर रख सकता है, साथ ही उसकी जान भी ले सकता है। मानो कि उसे नारी के साथ यह सब करने का अघोषित अधिकार मिला हुआ है। मगर यह भी सच है कि अनेक नारियों ने हर प्रकार की विपरीत और कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करते हुए उन पर विजय प्राप्त की और इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया।
आज की बदली हुई तथा अपेक्षया अनुकूल परिस्थितियों में नारियां स्वयं को बदलने और पुरुष-प्रधान समाज द्वारा रचित बेड़ियों से स्वयं को आजाद करवाने हेतु कृतसंकल्प हैं। अब प्रश्न यह है कि नारी कितना बदले और क्यों? इसी बात की विवेचना हम इस निबंध में करेंगे।