Hindi Essay (In hindi)
Ashiksha-vikas me badhak
(500- 600 words)
Answers
Answer:
कुशीनगर: अशिक्षा बच्चों के विकास में बाधक है। जहां अशिक्षा है वहीं आतंकवाद , नक्सल बाद, अलगाव बाद व गरीबी है। शिक्षा से ही गांव प्रदेश तथा देश का विकास हो सकता है। यह बातें रामकोला के विधायक पूर्णमासी देहाती ने कप्तानगंज स्थित जेपी इंटर कालेज के स्थापना दिवस पर बच्चों व अभिभावकों को संबोधित करते हुए कही। कहा कि शिक्षा ही समाज का दर्पण है। सपा नेता राजन त्रिपाठी ने कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य कर रही है। अध्यापकों को शिक्षा के अलावा बच्चों को संस्कार भी देना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित व माल्यार्पण कर किया गया। इसके बाद छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना .. धरती ये आकाश पुकारे तेरी जय हो जय हो। छात्र व छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में कव्वाली, एकांकी, ब्रजगीत, प्रहसन आदि प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य राम प्रसाद ने आये हुए सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रगट किया गया तथा कहा कि यह विद्यालय बच्चों को शिक्षा देने के लिए हर तरह से प्रयासरत रहता है। कार्यक्रम का संचालन विश्वंभर ने किया। प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया गया।
इस दौरान23 पारस ¨सह, जयराम ¨सह, मिठाई लाल, जनकधारी प्रसाद, शैलेंद्र दत्त शुक्ल, डा. अश्विनी पांडेय, डा. गिरजेश पांडेय, अतुल श्रीवास्तव , ओमप्रकाश ¨सह, उदयभान ¨सह, चंद्रभान रस्तोगी, लीलावती यादव, निवेदिता श्रीवास्तव, डा. रविशंकर ¨सह, वाई शंकर मूर्ति, आरपी पांडेय, सतीश कुमार श्रीवास्तव, इजहारूल खान, डा. राधे गो¨वद शाही, राजकुमार पांडेय सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
उत्तर:
जीवन में शिक्षा लोगों के जीवन, देशों के भविष्य और विश्व व्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है। अशिक्षित लोगों को दूसरे लोगों के साये में रहना होगा जबकि अनपढ़ देशों को दूसरे देशों के प्रभाव में रहना होगा। आज भी दुनिया भर में लाखों बच्चों के लिए शिक्षा एक दुर्गम अधिकार है। आंकड़े बताते हैं कि प्राथमिक विद्यालय में 72 मिलियन से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, जबकि 759 मिलियन से अधिक निरक्षर वयस्क हैं, जिनके पास अपने और अपने बच्चों के रहने की स्थिति में सुधार करने के लिए ज्ञान की कमी है।
शिक्षा की कमी के कई कारण हैं। पहला, असमानता और हाशिए पर जाना जिसमें विकसित और विकासशील दोनों देशों में बच्चों को बुनियादी शिक्षा तक पहुंच का अभाव है क्योंकि असमानता जो कि सेक्स, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक पहचान (जातीयता, भाषा या धर्म) से उत्पन्न होती है। गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी और माता-पिता की निरक्षरता जैसे कारकों के कारण बच्चे शिक्षा के मामले में हाशिए पर हैं।
दूसरा कारक जो शिक्षा की कमी की ओर ले जाता है, वह है स्कूलों को बनाने, स्कूली शिक्षा सामग्री प्रदान करने और शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और भर्ती करने के लिए आवश्यक वित्त की कमी के कारण उचित वित्तीय आवंटन की कमी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा आवंटित धन आमतौर पर पर्याप्त नहीं होता है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में बच्चे, विशेष रूप से भारत में गरीबी से त्रस्त घरों से, उदाहरण के लिए, स्कूल छोड़ना पड़ा है।
लड़कियों और लड़कों के बीच असमानता आगे चलकर लड़कियों की शिक्षा को खतरे में डालती है, जो मुख्य रूप से पुरुषों को दिए जाने वाले सांस्कृतिक और पारंपरिक विशेषाधिकारों द्वारा समझाया गया है। लड़कियों को घर पर काम करने की भूमिका दी जाती है जबकि लड़कों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
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