Hindi essay on Acharya vinoba bhave
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जहाँ कहीं भी गरीबों को भूमि दान करने की बात चलती है, तो आचार्य विनोबा भावे की याद ताजा हो जाती है । बिना जोर-जुल्म किये अथवा बिना कानून बनाये धनी व्यक्तियों और जमींदारों को अपनी कुछ भूमि गरीबों को दे देने के लिए राजी करना विनोबाजी के अलावा और किसी के लिए संभव न था । इस कठिन कार्य को पूरे देश में चलाकर उन्होंने अत्यंत अद्भुत कार्य किया था ।
2. जन्म और शिक्षा:विनोबाजी का जन्म सन् 1895 में महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता थे श्री नरहरि राव तथा माता थीं श्रीमती रुक्यिणी देवी । विनोबाजी बचपन में विन्या के नाम से पुकारे जाते थे ।
विनोबाजी बचपन से ही बड़ी तेज बुद्धि के बालक थे । प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने बड़ौदा से सन् 1913 में मैट्रिक की परीक्षा पास की । इसके बाद इंटरमीडिएट की शिक्षा भी ली किन्तु ये सारे प्रमाण-पत्र उन्होंने जला दिये और काशी जाकर संस्कृत की शिक्षा ली ।
3. कार्यकलाप:विनोबाजी गाँधीजी के व्यक्तित्व (personality) से प्रभावित होकर उनसे मिले और उनके कहने पर साबरमती में वृद्ध-आश्रम का संचालन करने लगे । इस दौरान उन्हें अध्ययन करने को अधिक समय मिला तथा अनेक नेताओं के संपर्क में भी आए ।
उन्होंने गाँधीजी के अनेक आन्दोलनों में भाग लिया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा । देश की आजादी के बाद उन्होंने हरिजनों के कल्याण तथा दंगों (Insurgency) को शांत करने के लिए संपूर्ण भारत का दौरा किया ।
भूदान आन्दोलन के तहत लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोग से केवल बिहार में बाईस करोड़ एकड़ से अधिक भूमि दान के रूप में प्राप्त हुई तथा देशभर में कुल सत्रह लाख हेक्टेयर भूमि मिली । यह सब उन्होंने बेसहारा और गरीब लोगों में बाँट दिया । अन्तत: 15 नवम्बर 1982 को वे इस संसार से सदा के लिए चले गये ।
4. उपसंहारविनोबाजी देश के एक बड़े नेता थे लेकिन उन्होंने कभी किसी सरकारी पद या धन का लोभ नहीं किया । वे देश में सच्चा समाजवाद (Socialism) और रामराज्य लाना चाहते थे । इस देश को उनकी और अधिक जरूरत थी ।