Hindi essay on bal shram in 100 words
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बालश्रम का तात्पर्य उस कार्य से है, जिसे करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु से छोटा हो |बालश्रम एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है, जो शहरों में, गांव में, एवं चारों और मकड़जाल की तरह बचपन को अपने आगोश में लिए हुए हैं| खेलने-कूदने के दिनों में कोई बच्चा श्रम करने को मजबूर हो जाए तो, इससे बड़ी विडंबना किसी भी समाज के लिए भला और क्या हो सकती है| बालश्रम से परिवारों को आए स्त्रोतों का केवल एक छोटा सा भाग ही प्राप्त होता है, जिसके लिए गरीब परिवार अपने बच्चों के भविष्य को गर्त में झोंक देते हैं| बालश्रम मानवाधिकारों का हनन है| मानव अधिकारों के अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास का हक पाने का अधिकार है, लेकिन यथार्थ में स्कूल, खेल, प्यार-स्नेह, आत्मीयता आदि इनकी कल्पना में ही रह जाते हैं|वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या लगभग 1.3 करोड़ थी | यहां अधिकांश बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं| उनमें से लगभग 60% 10 वर्ष की आयु से कम है| व्यापार एवं व्यवसाय में 23% बच्चे संग्लन हैं, जबकि 36% बच्चे घरेलू कार्य में| शहरी क्षेत्रों में उन बच्चों की संख्या अत्याधिक, जो कैंटीन एरिया में काम करते हैं या चिथड़े उठाने एवं सामानों की फेरी लगाने में संग्लन है, लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं है| अधिक बदकिस्मत बच्चे वे हैं, जो जोखिम वाले उद्यमों में कार्यरत हैं| कितने ही बच्चे हानिकारक प्रदूषित कारखानों में काम करते हैं, जिनकी ईंट की दीवार पर कालिख जमी रहती है और जिनकी हवा में विषद्जनक बू होती है|
वे ऐसी भठियों के पास काम करते हैं, जो 1200 डिग्री सेल्सियस ताप पर जलती हैं| वे आर्सेनिक और पोटेशियम जैसे खतरनाक रसायनों को काम में लेते हैं|
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या लगभग 1.3 करोड़ थी | यहां अधिकांश बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं| उनमें से लगभग 60% 10 वर्ष की आयु से कम है| व्यापार एवं व्यवसाय में 23% बच्चे संग्लन हैं, जबकि 36% बच्चे घरेलू कार्य में| शहरी क्षेत्रों में उन बच्चों की संख्या अत्याधिक, जो कैंटीन एरिया में काम करते हैं या चिथड़े उठाने एवं सामानों की फेरी लगाने में संग्लन है, लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं है| अधिक बदकिस्मत बच्चे वे हैं, जो जोखिम वाले उद्यमों में कार्यरत हैं| कितने ही बच्चे हानिकारक प्रदूषित कारखानों में काम करते हैं, जिनकी ईंट की दीवार पर कालिख जमी रहती है और जिनकी हवा में विषद्जनक बू होती है|
वे ऐसी भठियों के पास काम करते हैं, जो 1200 डिग्री सेल्सियस ताप पर जलती हैं| वे आर्सेनिक और पोटेशियम जैसे खतरनाक रसायनों को काम में लेते हैं|
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या लगभग 1.3 करोड़ थी | यहां अधिकांश बाल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत हैं| उनमें से लगभग 60% 10 वर्ष की आयु से कम है| व्यापार एवं व्यवसाय में 23% बच्चे संग्लन हैं, जबकि 36% बच्चे घरेलू कार्य में| शहरी क्षेत्रों में उन बच्चों की संख्या अत्याधिक, जो कैंटीन एरिया में काम करते हैं या चिथड़े उठाने एवं सामानों की फेरी लगाने में संग्लन है, लेकिन वह रिकॉर्ड में नहीं है| अधिक बदकिस्मत बच्चे वे हैं, जो जोखिम वाले उद्यमों में कार्यरत हैं| कितने ही बच्चे हानिकारक प्रदूषित कारखानों में काम करते हैं, जिनकी ईंट की दीवार पर कालिख जमी रहती है और जिनकी हवा में विषद्जनक बू होती है|
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