Hindi essay on Chandni Raat ka Safar in 500 words
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चान्दनी रात में टहलने से न केवल पूरे दिन की थकान मिट जाती है अपितु इससे हमारा मनो मस्तिष्क ताजा हो जाता है एवं आत्मिक शन्ति प्राप्त होती है । चांदनी रात में वातावरण पूर्णतय: शान्त होता है अगर हम शहर की नीरसता से थोड़ा दूर देहात की ओर चले जायें तो प्रदूषण रहित स्वच्छ शीतल वातावरण का सानिध्य प्राप्त होता है ।
हम पेड़ों की छाया और चादनी की आख-मिचौली के बीच चलते रहे । लगभग एक किलोमीटर की सुखद सैर के बाद हम नदी के किनारे जा पहुँचे । रास्तेभर हम हँसी-मजाक करते रहे । कभी-कभी चाद की सुन्दरता पर कुछ कह उठते । नदी का जल छिटकी चादनी के प्रभाव से दूध-सा लग रहा था । नदी धीरे-धीरे बह रही थी ।
हम पेड़ों की छाया और चादनी की आख-मिचौली के बीच चलते रहे । लगभग एक किलोमीटर की सुखद सैर के बाद हम नदी के किनारे जा पहुँचे । रास्तेभर हम हँसी-मजाक करते रहे । कभी-कभी चाद की सुन्दरता पर कुछ कह उठते । नदी का जल छिटकी चादनी के प्रभाव से दूध-सा लग रहा था । नदी धीरे-धीरे बह रही थी ।उसकी मधुर धुन बड़ी मधुर लग रही थी । मुझे ऐसा लगा कि पानी के स्थान पर नदी में दूध बह रहा है । एक मित्र ने कहा कि नदी दूध मे रनान कर रही है । चारों ओर निस्तब्धता थी । चांदनी सारी धरती को समान रूप से प्रकाशित कर रही थी । मुझे ऐसा लगा कि हम स्वर्ग में बैठे है, जहाँ दूध की नदियाँ बहती हैं ।