Hindi essay on davanal
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दावानल या वन की आग उस दुर्घटना को कहते हैं जब किसी वन के एक भाग में या पूरे वन में ही आग लग जाती है और उस वन के सभी पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इत्यादि जलने लगते हैं। दावानल के लिए स्थिति तब उत्पन्न होती है जब वनस्पतियां और मिट्टी सूख जाते हैं और आद्रता भी बहुत कम होती है। आग प्राकृतिक कारणों जैसे आकाशीय बिजली गिरने से या प्राकृतिक रूप से वन में उत्पन्न घर्षण से लग सकती है या यह मानव निर्मित भी हो सकती जैसे कोई लापरवाही से सूखे वन में सुलगती हुई सिगरेट या माचिस की तीली फैंक दे। एक बार चिंगारी भड़कने के बाद आग हवा के प्रभाव में तेज़ी से फैलती है, विशेषकर तब जबकी आग सूखे झाडफूस को पकड़ लेती है।
दावानल अन्य अग्नियों से भिन्न होता है, जिसके कारण हैं इसका विशाल आकार, इसके उद्गम स्थान से आगे फैलने की गति एवं इसकी दिशा बदलने व रिक्त स्थानों जैसे सड़कों, नदियों आदि से आगे बढ़ जाने की क्षमता।
दावानल से निबटने हेतु अग्निशमन में एक विशेष पाठ्यक्रम होता है और जो अग्निशमन कर्मी इसमें दक्ष होतें है उन्हें वाहनों, वायुयानों, हेलीकॉप्टरों इत्यादि में अग्निशमन के लिए रखा जाता है।