Hindi, asked by 9419568146, 1 year ago

Hindi essay on dharti

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Answered by Anonymous
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सदियों से विद्यमान इस विशाल जगत् का सुचारु रूप से संचालन निश्चित तापमान से ही संभव हो सका है। धरती की अनगिनत जीव जन्तु आन्तरिक व बाह्य तापमान के संतुलन से ही पनपतीं हैं जीवित रहतीं हैं। अति सर्वत्र वर्जयेत् को ध्यान में रख यह हमारा कर्तव्य बन जाता हैं कि प्रकृति से अनुचित ढंग से कतई न खेले । आधुनिक जीवन की तेज़ रफ़तार ने स्वार्थ और सुख सुविधा की हवस में मनुष्य को फ़सा लिया हैं। फलस्वरूप हम अपनी सुधबुध खोकर अंधाधुन प्रकृति की अमूल्य देन को कुचल रहें हैं।
आसमान से आँख मिचौली खेलते घने छायादार वृक्षों की जगह गगन चुंबी इमारतें दिखाई देने लगे हैं। वनों का नाश वास्तव में धरती पर भयंकर परिणामों को आमन्त्रित करना हैं। बढता तापमान प्रकृति में असंतुलन का नीवं बोयेगा। जिसका असर भले ही वर्तमान में न दिखें पर आनेवाली पीढी इसके दुष्प्रभाव से पीडित शारीरिक और मानसिक व्यथाओं से तड़पेगी। सर्वत्र हाहाकार मचेगा..
धरती पर बढते तापमान का नतीज़ा अब दृष्टिगोचर हो रहा हैं। अवैध कारणों से तापमान के बढाव ने सख्त बर्फीली चोटियों को भी पिघलने में मज़बूर कर दिया हैं। अब असमयिक वातावरण में अनदेखी अनसुनी बदलाव का अनुभव हो रहा हैं। नित नए रोग, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन सहज़ ही उत्पन्न हो रहें हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब यह सुन्दर अद्भुत धरती निर्मित प्रलय काल के पहले ही पिघलते बर्फ की समुद्र से घिर कर सदा के लिए विलीन हो जाए।





hamari dharti saur mandal ki ak matr aisi grh hai jis pr jeeven hai....
*hamari dharti ke aneko naam hai jaise vasundhara,vasudha ityadi....
* hamari prithvi pr anek trh ke prani paye jaate hai....
*hamari dharti ka 71% hissa paani hai and 29%hissa zamin hai
*hamari dharti ka akar upar se and neeche se santare ki trh chaptaa hai.
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