hindi essay on importance of moral values
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मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है । समाज की इन मर्यादाओं में सत्य, अहिंसा, परोपकार, विनम्रता एवं सच्चरित्र आदि अनेक गुण होते हैं ।
इन गुणों को यदि हम सामूहिक रूप से एक नाम देना चाहे तो ये सब सदाचार के अन्तर्गत आ जाते है । सदाचार एक ऐसा व्यापक शब्द है जिसमें समाज को लगभग सभी मर्यादाओं का पालन हो जाता है । अत: सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का सर्वाधिक महत्त्व है ।
सदाचार शब्द यौगिक है, दो शब्दों से मिलकर बना है – सत् + आचार जिसका भावार्थ है उत्तम आचरण अर्थात जीवन यापन की वह पद्धति जिसमें सत का समन्वय है, जिसमें कहीं भी ऐसा न हो जो असत् कहा जा सके । सदाचार संसार का सर्वोत्कृष्ट पदार्थ है । विद्या, कला, कविता, धन अथवा राजस्व कोई भी सदाचार की तुलना नहीं कर सकता । सदाचार प्रकाश का अनन्त स्त्रोत है ।
विश्व के समस्त गुण सदाचार से निहित हैं । सदाचार से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है । सदाचार हमें मार्ग दिखलाता है । सदाचार आशा और विश्वास का विशाल कोष है । सदाचारी मनुष्य संसार में किसी भी कल्याणकारी वस्तु को प्राप्त कर सकता है ।
सदाचार से ही उत्तम आयु, मनचाही संतान तथा असंचय धन आदि की प्राप्ति होती है । सदाचार के बिना मनुष्य का जीवन खोखला है जिसके कारण वह कभी उन्नति नहीं कर सकता है । चरित्र ही सदाचार व्यक्ति की शक्ति है ।
किसी भी महान से महान कार्य की सिद्धि बिना सदाचार अथवा उत्तम चरित्र के संभव नहीं । जो वास्तविक सफलता सदाचारी प्राप्त कर सकता है उसे दुराचारी मानव कदापि प्राप्त नहीं कर सकता है । सदाचार का पालन न करने वाला व्यक्ति समाज में घृणित माना जाता है । दुराचारी पुरुष की संसार में निन्दा होती है । वह निरन्तर व्याधिग्रस्त एवं रोगासक्त रहता है तथा उसकी आयु भी कम होती है ।
दुराचारी मानव अपना, अपने समाज और अपने राष्ट्र किसी का भी उत्थान नहीं कर सकता है । सदाचार विहीन मनुष्य का जीवन पाप-कर्म में होने के कारण सुख-शान्ति रहित एवं अपमानजनक होता है । ऐसे लोगों को इस लोक में चैन नहीं मिलता तथा परलोक में भी सदगति प्राप्त नहीं होती है ।‘आचार’ शब्द तो इतना महत्त्वपूर्ण है, सहज ही नहीं भुलाया जा सकता । सदाचार आम या जामुन का फल नहीं है जिसे किसी भी वृक्ष से तोड़ लिया जाय अथवा बाजार से खरीद लिया जाये । सदाचार आचरण की वस्तु है, वाणी की नहीं । सदाचार की भाषा मौन है, वह बोलता नहीं । सम्पूर्ण जीवन की आधारशिला विद्यार्थी जीवन है । अत: इस जीवनरूपी नींव को विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता आदि से पुष्ट होना चाहिये ।
सदाचार के अभ्यासार्थ हमें बुरे वातावरण से सर्वदा बचना चाहिए, क्योंकि बुरे वातावरण में रहकर हम कितना ही प्रयास करे उसके प्रभाव से बचना कठिन है । सदाचार के हेतु हमें अपना अधिक से अधिक समय महापुरुषों की आत्मकथा, गीता, रामायण, श्रीमद्भागवत, कुरान शरीफ, बाईबिल, त्रिपिटक आदि धार्मिक ग्रन्थों के पठन-पाठन तथा सत्संगति में व्यतीत करना चाहिए ।
स्पष्ट है कि सदाचार का पालन स्वयं की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति के लिये परमावश्यक है । सच्चरित्रता ही सदाचार है, जिसकी प्रतिक्षण रक्षा करना हमारा परम, पवित्र कर्तव्य है । सदाचार मानव को देवत्व प्रदान करता है । इस सदाचारण से युक्त पृथ्वी ही स्वर्ग है ।
importance of moral values
Ethical values are good values particularly compassion, generosity, honesty, kindness, integrity, politeness, perseverance, self control and respect. People who have these qualities are thought become an asset to your society.