Hindi essay on insaniyat ( humanity )
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ऐसे समय में यह बहुत जरुरी है कि हम एक ऐसे धर्म को अंगीकार करे जो सभी धर्मों का सार हो और हम सभी को एकता के सूत्र में बाँध सके. मानवता ही एक मात्र ऐसा धर्म है जो इस संसार को रहने योग्य और शांतिपूर्ण बना सकता है और धर्म के वास्तविक उद्देश्य को पूरा भी कर सकता है.
धर्म ने मानव को नहीं बनाया बल्कि मानव ने धर्म को बनाया हैं और सत्य तो यहीं है कि संसार के सभी प्राणी पञ्च तत्वों से मिलकर बने हैं. हमारी मंजिल भी एक ही है तो फिर इतनी अलग अलग धारणाएं अपनाने का क्या औचित्य है ?
एक नवजात शिशु सिर्फ प्यार की भाषा जानता है. जन्म के साथ वह किसी भी जाति, धर्म या सम्प्रदाय का हिस्सा नहीं होता बल्कि जिस घर में और जिन लोगों के बीच उसका लालन पालन होता है उन्हीं के धर्म, परम्पराओं आदि को स्वीकार करने को वो बाध्य होता है. अगर उसी बच्चे का पालन-पोषण किसी और घर में होता तो वह उस घर के धर्म और जाति को अपनाता. इससे यह सिद्ध है कि कोई भी मनुष्य किसी धर्म या जाति विशेष के साथ पैदा नहीं होता.
मानवता धर्म की सबसे अच्छी बात यह है कि यह सभी लोगों को चाहे वे आस्तिक हो या नास्तिक हो को एक कर सकता है. ईश्वर है या नहीं इसकी चिंता करने की बजाय हमें एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश करनी चाहिए. अगर हम एक अच्छे इंसान है तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम ईश्वर में विश्वास करते हैं या नहीं. अगर हम प्यार शांति और ख़ुशी के बीज बोयेंगे तो बदले में हमें भी ढेर सारा प्यार, ख़ुशी और शांति मिलेगी.
मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध और निर्दयता से भरे होते है पर फिर भी धार्मिक अनुष्ठानों में निर्लिप्त दिखाई देते हैं. इनमे से कई ऐसे होते हैं जो ईश्वर की भक्ति को सभी बुरे कार्यों को करने का लाइसेंस मानते है. क्या ऐसे लोग सच में धार्मिक है ? कुछ धर्मों में पशुओं की बलि दी जाती है . मुझे आज तक समझ नहीं आया कि किसी की हत्या के द्वारा हम ईश्वर को खुश कैसे कर सकते हैं ? कुछ लोग सामने खड़े कुत्ते या भूखे इंसान को खाना नहीं देंगे और गाय का इंतज़ार करेंगे. ये कैसा धर्म है जो हमें बस भेदभाव और पक्षपात पूर्ण रवैया सिखाता है.
अगर आप मानवता का अनुसरण करेंगे तो सभी भेदभावों से परे और खुले विचारों वाले बनेंगे. सभी प्राणी आपके लिए सामान होंगे और जरुरत मंद की सहायता ही आपका धर्म होगा. इससे आप खुद को ईश्वर के ज्यादा निकट पाएंगे और सच्चे अर्थों में ख़ुशी और शांति पा सकेंगे.
इंसानियत
इंसानियत : इंसान का सबसे महत्वपूर्ण तत्व
या यूं कहें सबसे खास बात । जिसके कई
समानार्थी शब्द है। कोई इसे उदारता के
कसौटी पर रखता है तो कोई मनुष्यता के ।
इंसान का सबसे महत्वपूर्ण तत्व मानो गुम सा हो
गया है । इंसान में अब इंसानियत ही नहीं रहा
है। जिस चीज के लिए मनुष्य जाने जाते थे,
आज उसी चीज को इंसान नजरअंदाज करता
है।
कभी पूछा है किसी ने कि कितनी इंसानियत
बची है हमारे अंदर जब हम देखते है की
लड़कियों को सरे बाज़ार में परेशान किया
जाता है ? कितना सवाल पूछते है हम खुदसे ,
जब हम रास्ता में विकलांग को खाने के लिए
तड़प रहे देख रहे होते ? कितना चिंतित होते है
हम , जब खाना ना पसंद होने के कारण पूरा
खाना को फेंक देते है वहीं किसी के दो - चार
रुपए मांगने से मुंह फेर लेते है ।
हम मनुष्य पश्चिमीकरण से इतना प्रभावित हो
चुके है कि हमारे पास अपने ही घर वालो के
लिए फुरसत नहीं होती । फिर देश का तो
सवाल ही नहीं उठता । व्यस्त जीवन के चंगुल
में इतना फस चुके है कि अब इंसानियत भी
नहीं बची रही है । दिन प्रतिदिन हम मनुज ,
इंसानियत के नाम पर कलंक होते जा रहे है ।
इंसानियत को हमने तो बरसों ही पीछे छोड़
दिया है । जो कुछ थोड़ा इंसानियत बचाए हुए
है उसे संभाल मर रखना चाहीए।