HINDI ESSAY ON INTERNET AUR GAON KI KALPANA
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इन्टरनेट और विश्व गाँव की संकल्पना पर अनुच्छेद । “Internet and the Concept of Global Village” in Hindi Language!
भौगोलिक सीमाओं से आबद्ध व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी के सदुपयोगी संगम से एक सुगम व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है । ये व्यवस्था अपने विस्तृत आलिंगन से समूचे बसुधा को समेट रही है ।
पारंपरिक संकीर्णता की व्यापकता पर आधारित इन्टरनेट की व्यवस्था क्षीण कर रही है । वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय विकास के इस परिप्रेक्ष्य में इस पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति दूर-दराज के क्षेत्र में स्थित दूसरे व्यक्तियों से बौद्धिक सम्पर्क स्थापित कर रहा है ।
स्पष्टत: मानवीय सम्बन्ध एक आशाजनक उज्जवल परिवर्तन की स्थिति से गुजर रहा है । कप्यूटर के माध्यम से सूचना के राजमार्ग इन्टरनेट पर चलकर समस्त मानव-जाति एकीकरण के लिए प्रयत्नशील है । मानव-जीवन की सभी गतिविधियां यथा–राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक आदि इलैक्ट्रानिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रही है ।
नेटवर्क के इस विशाल पर्यावास में कोई सीमा नही । कोई सरहद नहीं, कोई बंधन नहीं । विचारकों का उन्मुक्त संचालन-प्रसारण विश्व ग्राम योजना का प्रमुख चरित्र है और इन्टरनेट इसकी सम्पूर्ण व्यवस्था है । इन्टरनेट व्यवस्था के अन्तर्गत लाखों-करोड़ों कम्प्यूटरों का संजाल बनता है, जो सूचनाओं के आवागमन को सुलभ करता है । इसकी संरचना वस्तुत: प्रजातांत्रिक है जो सूचना शक्ति को विकेन्द्रित करती है ।
दुनिया के किसी कोने में बैठा कोई व्यक्ति अपने कम्प्यूटर को इन्टरनेट से जोड़कर सूचना सम्राट बन सकता है । इन्टरनेट से जुड़ा कम्प्यूटर होस्ट कहलाता है । इस साम्राज्य में राजा व रंक सभी अपने होस्ट कम्प्यूटर से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं ।
इन्टरनेट का जन्म शीत-युद्ध के गर्भ से अमेरिका में हुआ । 1960 के दशक में सोवियत संघ के परमाणु आक्रमण से चिंतित अमेरिकी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था की संरचना चाही जिसमें अमेरिकी शक्ति किसी एक जगह पर केन्द्रित न रहे । विकेन्द्रित सत्ता वाले नेटवर्क से ये आशा थी कि शक्ति के बिखरे स्वरूप से उसे आक्रमण का शिकार होने से बचाया जा सकेगा ।
इस नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर शक्ति से सम्बन्धित सूचना को संग्रहित रखेगा । इस प्रकार कुछ कम्प्यूटरों के नष्ट हो जाने के बावजूद, कुछ कम्प्यूटर शेष कम्प्यूटर रक्षात्मक कदमों के लिए संग्रहित सूचनाओं के साथ मार्गदर्शन करेंगे ।
सत्तर के दशक में अमेरिका की रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी ने अपने प्रयत्न में सफलता प्राप्त की और इस नेटवर्क का उदय हुआ जो कम्प्यूटरों के बीच बहु संयोजित पैकेट संजालों में सूचनाओं का आदान प्रदान कराने ।
ये अंतर-नैटिंग परियोजना परिष्कृत होकर इन्टरनेट के नाम से विख्यात हुयी । अनुसंधान से विकसित प्रोटोकोल को नियंत्रण प्रोटोकोल (टी.सी.पी.) और इन्टरनेट प्रोटोकोल (आई.पी.) कहा गया । इन्टरनेट से सम्बन्धित दस्तावेजों के प्रकाशन और प्रोटोकोल संचालन के लिए इन्टरनेट कारवाई बोर्ड होता है जो प्रयोक्ताओं को इंटरनेट रजिस्ट्री, डोमेन नेम और उसके द्वारा डाटाबेस का आबंटन और वितरण करता है ।
इंटरनेट की लोकप्रियता के पीछे इसकी विविध प्रणालियां, सेवाएँ प्रमुख हैं । विश्वव्यापी वैब जहां प्रयोक्ता को सरलता से एक पेज से दूसरे पेज पर जाने में मदद करता है और सम्पर्क को व्यापक बनाता है वहीं मोसेक नामक लेखचित्रीय वैब-ब्राउसर इसे आम लोगों के लिए सुगम बनाता है । नेटस्केप नैवीगेटर और इन्टरनेट एक्सप्लोरर जैसे बैबब्राउसर इंटरनेट एक्सेस को रोचकता पूर्वक सरल करते हैं ।