Hindi, asked by chitlangiaanuj1, 1 year ago

hindi essay on jal hi jeevan hai

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जल मनुष्य की बहुत बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना कठिन है। हमारे शरी में जल की मात्रा भी 90 प्रतिशत तक मानी जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है जल का हमारे जीवन में कितना महत्व है। जबसे पृथ्वी का निर्माण हुआ है, जल भी हमारे साथ रहा है। पृथ्वी के हर छोटे बड़े प्राणी, जीव और पेड़-पौधों के लिए जल की बहुत आवश्यकता होती है। हमारे ग्रह में जल ही चारों तरफ व्याप्त है। पृथ्वी में सबसे अधिक जल की मात्रा है। हमारी पृथ्वी में यह तरल और ठोस रूपों में विद्यमान रहता है। पूरे ग्रह की आपूर्ति इन्हीं रूपों से होती है। यह समृद्र, नदियों में पाया जाता है। समृद्र का पानी खारा होता है, यह जलीय जीवों के लिए उचित होता है। अन्य कोई इस जल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। नदियों का पानी पीने के लिए उपयुक्त होता है और इसी पर सभी निर्भर रहते हैं। नदियो में जल बर्फों के पिघलने से प्राप्त होता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारे जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह हमारे दैनिक जीवन में हर प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है। मनुष्य के शरीर में यदि पानी की कमी हो जाए तो उसका बहुत सी कठिनाईयों का प्रयोग करना पड़े। परन्तु विडंबना देखिए हम मनुष्य ने अपने इस जीवनदायी अमृत को दूषित करना प्रांरभ कर दिया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि अब हमारे पीने के लिए ही जल उपलब्ध नहीं हो रहा है। यह हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपयुक्त नहीं है।
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जल हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण है।  जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते है।  पानी कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और वसा की तरह ही पोषण का काम करता है। पानी हमारे घुटनों, कलाई और सभी अंतरंग भागों की चिकनाई के साथ-साथ जोड़ों को स्‍वस्‍थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में पानी के महत्‍व और उससे जुड़ी कुछ बातों को जानते हैं। जल हमारे अनेक काम में काम आता है जैसे-कपडे धोने के लिए,स्नान करने के लिए,बर्तन साफ़ करने के लिए,भोजन बनने के लिए आदि। पृथ्वी  हर छोटे से बड़े प्राणी  को जल की बहुत आवयश्कता है। जल के बिना हम ५ दिन भी जिन्दा नहीं रहे सकते है। जल हमारी पृथ्वी का लगभग ७५% घेरा हुआ है। परन्तु ये जल व्यर्थ है क्योकि ये खारा जल है। हमारी पृथ्वी पे सिर्फ ३% जल ही हमारे कार्य योग्य है। आज के उपभोक्तावादी युग में जल का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्वीकृत हो रहा है। पुरातन युग में विशेष जल का प्रबंध धार्मिक अनुष्ठानों को सफल और पूर्ण करने का एक अनिवार्य कारक था। प्राचीन युग में जीवन यापन में जल की व्याख्या संभवतः जल की अधिकता के कारण अवर्णनीय रह गयी। हिन्दू धर्म ग्रंथों में जल के महत्व और महात्म अनेक व्याख्याएँ एवं कथाएँ उपलब्ध हैं। मनुष्य ने जल को दूषित करना प्रारम्भ पर दिया है। मनुष्य सिर्फ अपने लाभ की वझे से इससे बर्बाद करने पे तुला हुआ है। हमें प्राण लेना चाइये की हम इससे कभी भी बर्बाद न करे। 
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