Hindi essay on kal kare so aaj kar aaj kare so ab
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Explanation:
“हमारे जीवन की सफलता-असफलता समय के सदुपयोग तथा दुरुपयोग पर निर्भर करती है। कहा भी गया है- क्षण को क्षुद्र न समझो भाई, यह जग का निर्माता है।” समय का मूल्य समय के बीत जाने पर ज्ञात होता है। समय के दुरुपयोग से दुख और दरिद्रता ही हाथ लगते हैं। समय का भयंकर शत्रु आलस्य है। आलस्य जीवन का वह कीड़ा है जो यदि लग जाए तो जीवन नष्ट कर देता है। बहुत से नवयुवक अवकाश के दिनों में निठल्ले घर पर बैठे रहते हैं अथवा बुरी संगति में पड़कर अपने समय को बर्बाद कर देते हैं। कहावत भी हैं- आषाढ़ का चूका किसान और डाल का चूका बंदर कहीं का नहीं रहता। समय अमूल्य धन है। कबीर दास जी ने कहा भी है
“काल्ह करै सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब॥” ।
समय का सदुपयोग करने वाले को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति अपना कार्य समय पर करता है उसे कोई व्यग्रता नहीं होती। समय पर कार्य करने वाला व्यक्ति केवल अपना ही भला नहीं करता वरन अपने परिवार, ग्राम तथा राष्ट्र की उन्नति में भी सहायक होता है। समय के सदुपयोग से मनुष्य धनवान, बुद्धिमान तथा बलवान हो सकता है। संसार में जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, उनकी महानता के पीछे समय के सदुपयोग का मूलमंत्र छिपा हुआ है। अत: प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह दिनचर्या के कार्यों में परिवर्तन करे। वह किसी भी कार्य को आरंभ करने के पश्चात् उसे बड़े परिश्रम और लगन से पूरा करे, उसे अधूरा कभी न छोड़े। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग नहीं करता वह बुद्धिहीन कहलाता है। अत: व्यक्ति को समय के एक-एक पल का सदुपयोग करना चाहिए।