Hindi Essay on मनोरंजन के अधुनिक साधन
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मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध हिंदी में मनोरंजन के लाभ मनोरंजन के हानि manoranjan ke adhunik sadhan short essay on manoranjan ke adhunik sadhan टेलीविजन ,रेडियो ,सिनेमा ,रंगमंच आदि मनोरंजन के आधुनिक साधन बन गए हैं जो आमलोगों में लोकप्रिय हैं .
मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध
मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध हिंदी में मनोरंजन के लाभ मनोरंजन के हानि manoranjan ke adhunik sadhan short essay on manoranjan ke adhunik sadhan - प्राचीन समय में बादशाह और राजा महाराजा अपने दरबार में ऐसे लोगों की नियुक्ति करते थे जो उनका मनोरंजन कर सकें जैसे तानसेन व बीरबल जैसे गायक व विदूषक आदि थे .राजा लोग नृत्य मंडलियाँ भी रखते थे ,जिनसे उनका मनोरंजन होता था .तानसेन मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक था .किन्तु सामान्य जनता को इन सब मनोरंजन के
मनोरंजन के आधुनिक साधन
मनोरंजन के आधुनिक साधन
साधनों का आनंद नहीं मिल पाटा था .सामान्य जनता के मनोरंजन का साधन यही था कि वे मंदिरों में जाते थे और ईश्वर भक्ति सम्बन्धी भजन और प्रार्थनाओं का गायन करते थे .उन्हें इन सामान्य प्रार्थनाओं में ही आनंद आता था .कभी कभी वे अपने घरों में भी गायन एवं संगीत के आयोजन करते थे .कुछ दशक पहले ग्रामीण क्षेत्रों में भजन और स्वांग भी लोगों के मन बहलाव का साधन थे .खेल तथा कुश्ती प्रतियोगिता भी मनोरंजन के साधन थे .लेकिन उन दिनों रेडिओ अथवा टेलीविजन जैसे साधन उपलब्ध नहीं थे .आज की तरह सिनेमा का आनंद नहीं ले पाते थे .
मनोरंजन के नए साधनों का अन्वेषण -
किन्तु जैसे जैसे समय गुजरता गया ,लोग मनोरंजन के नए साधनों का अन्वेषण करने लगे .आज लोग सिनेमाघर में जाते हैं और चलचित्र देखते हैं .यह अधिक खर्चीला भी नहीं है .मनोरंजन और आनंद प्राप्ति के नाम पर ढाई -घंटे सिनेमा हाल में गुज़ारने होते हैं तथा कुछेक रूपये खर्च करने होते हैं .
अतः सिनेमा मनोरंजन के आधुनिक साधनों में से एक है .लोगों की कहानी ,संवाद ,गायन और नृत्य का आनंद एक साथ मिलता है .सिनेमा देखने अत्यंत साधारण और सामान्य लोग भी जाते हैं .इसीलिए सिनेमाघरों में ऐसी फ़िल्में दिखाई जानी चाहिए जिनसे राष्ट्र के चरित्र का निर्माण हो सके .वे अश्लील नहीं होनी चाहिए .रेडिओ और रेडिओग्राम भी मनोरंजन के साधन हैं .हम घर बैठे चिरपरिचित तथा प्रख्यात गायकों के गाने सुन सकते हैं .रेडिओग्राम दो उद्धेस्यों की पूर्ति करता है .इससे हम ग्रामोफ़ोन के रिकार्ड भी सुनाकर सुन सकते हैं .इस प्रकार यह हमें दोहरा सुख प्रदान करता है .हम रेडियो संगीत का आनंद भी उठा सकते हैं और ग्रामोफ़ोन संगीत का भी .रेडियो सेट को आजकल घर घर में हैं .इनकी कीमत बहुत की कम है और गरीब लोग भी खरीद सकते हैं .कुछ लोग टेपरिकार्डर किया हुआ संगीत सुनने के लिए के भी प्रयोग करते हैं .
टेलीविजन सेट की लोकप्रियता -
अब लोगों में टेलीविजन सेट का भी प्रचालन हो रहा है ,लेकिन यह बहुत मंहगा साधन है .गरीबों के लिए तो टेलीविजन रखना बहुत ही मुश्किल है .एक टेलीविजन की कीमत लगभग ५ हज़ार से २० हज़ार रुपये तक आती है ,किन्तु कुछ कम्पनियाँ बहुत सस्ती कीमत में और वह भी किस्तों पर टेलीविजन सेट खरीदने की सुविधा प्रदान कर रही है .यही कारण है की अब बहुत सारे घरों में टेलीविजन सेट दिखाई देने लगे हैं .
टेलीविजन सेट पर को कार्यक्रम दिखाई देते हैं वे टेलीविजन स्टूडियो से रिले किये जाते हैं .टेलीविजन सेट के परदे पर हम सभी चीज़ें देख सकते हैं .कभी कभी टेलीविजन पर फिल्म भी दिखाए जाते हैं .इसके अतरिक्त बच्चों की शिक्षा सम्बन्धी अनेकानेक कार्यक्रम ,नृत्य और गायन ,समाचार और विज्ञापन भी भारत के टेलीविजन कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रसारित किये जाते हैं .
रंगमंच -
रंगमंचीय कार्यक्रम भी आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं .इनमें कलाकार सीधे मंच पर आकर गायन और नृत्य का प्रदर्शन करते हैं ,इनकी विषय वस्तु या तो अतिहसिक होती है अथवा सांस्कृतिक .हमारी संस्कृति की पुनः स्थापना के साथ साथ नृत्य और संगीत की पुनः स्थापना पर विशेष बल दिया जा रहा है ,क्योंकि संगीत और नृत्य हमारी संस्कृति के एक बहुत बड़े हिस्से की रचना करते हैं .
आधुनिक साधन लोकप्रिय -
रंगमंच तथा अन्य कार्यक्रमों में कव्वाली भी शामिल है .कव्वाली के कार्यक्रम भी अलग के लिए जाते हैं .इससे श्रोताओं में आनंद एवं स्फूर्ति का संचार होता है .कुछ वाद्य मंडलियों होटलों तथा अन्य जगहों में भी अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं तथा स्कूल व कॉलेज में भी अब ऐसे कार्यक्रम दिखाई जाने लगे हैं ,लेकिन यह एक निर्विवाद तथ्य है कि वर्तमान समय में टेलीविजन ,रेडियो ,सिनेमा ,रंगमंच आदि मनोरंजन के आधुनिक साधन बन गए हैं जो आमलोगों में लोकप्रिय हैं .