Hindi essay on mera nagar.long
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निस्संदेह दिल्ली ही प्रिय नगर है । यह केवल
ऐतिहासिक नागरी ही नहीं अपितु
औद्योगिक नगरी भी है । भारत का हृदय है ।
सत्ता का केंद्र है तथा विभिन्नताओं से भरा
हुआ अपने आप में एक देश है । दिल्ली भारत की
राजधानी है ।
यहाँ मंत्रालयों, कार्यालयों तथा होटलों का
बड़ी-बड़ी तथा ऊँची-ऊँची इमारतें तथा सड़कों
पर लोगों तथा वाहनों की भीड़ देखने को
मिलती है । प्राचीन काल से ही यह
राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है ।
कहते हैं कि एक राजा ने अपने राज्य को स्थिर
रखने के उद्देश्य से धरती में एक कीली गड़वाई ।
शीघ्र ही उसने कीली की जाँच करनी चाही ।
उसने कीली को उखाड़ा । कीली पर खून के
निशान थे कहते हैं कि यह खून शेषनाग का था ।
कीली दुबारा गड़वाई गई । किन्तु यह ढीली रह
गई तभी से इस नगर को पहले दिली और कुछ समय
बाद दिल्ली कहा जाने लगा । यह ऐतिहासिक
नगर है । प्राचीन काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ
था ।
यह मुस्लिम तथा मुगल शासकों की राजधानी
रहा है । अंग्रेज शासकों ने भी दिल्ली को ही
अपनी राजनीतिक गतिविधियों का
मुख्यालय बनाया । अत: स्वतंत्रता प्राप्ति के
बाद दिल्ली को ही भारत की राजधानी के
रूप में चुना गया । दिल्ली का अपना एक लम्बा
इतिहास है । यहाँ की सुन्दर तथा भव्य इमारतें
अपने युग की कहानी कहती हैं ।
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास ही चाँदनी
चौक का मुख्य बाजार है । यहाँ बड़ी-बड़ी
दुकानें हैं । लाखों का व्यापार होता है । हर
समय यहाँ लोगों की भीड़ लगी रहती है । इस
बाजार में प्रत्येक वस्तु मिल जाती है । चाँदनी
चौक के एक ओर जहाँ फतेहपुरी, नई सड़क तथा
नगर निगम की भव्य इमारतें हैं ।
वहाँ दूसरी ओर दीवान हॉल, आर्य समाज
मन्दिर, गौरी शंकर मन्दिर, जैन मन्दिर, प्रसिद्ध
जामा मस्जिद तथा ऐतिहासिक लाल किला
की इमारतें हैं । प्रतिदिन हजारों की सख्या में
लोग इन धार्मिक तथा ऐतिहासिक इमारतों
को देखने दिल्ली आते हैं ।
ऐतिहासिक नागरी ही नहीं अपितु
औद्योगिक नगरी भी है । भारत का हृदय है ।
सत्ता का केंद्र है तथा विभिन्नताओं से भरा
हुआ अपने आप में एक देश है । दिल्ली भारत की
राजधानी है ।
यहाँ मंत्रालयों, कार्यालयों तथा होटलों का
बड़ी-बड़ी तथा ऊँची-ऊँची इमारतें तथा सड़कों
पर लोगों तथा वाहनों की भीड़ देखने को
मिलती है । प्राचीन काल से ही यह
राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है ।
कहते हैं कि एक राजा ने अपने राज्य को स्थिर
रखने के उद्देश्य से धरती में एक कीली गड़वाई ।
शीघ्र ही उसने कीली की जाँच करनी चाही ।
उसने कीली को उखाड़ा । कीली पर खून के
निशान थे कहते हैं कि यह खून शेषनाग का था ।
कीली दुबारा गड़वाई गई । किन्तु यह ढीली रह
गई तभी से इस नगर को पहले दिली और कुछ समय
बाद दिल्ली कहा जाने लगा । यह ऐतिहासिक
नगर है । प्राचीन काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ
था ।
यह मुस्लिम तथा मुगल शासकों की राजधानी
रहा है । अंग्रेज शासकों ने भी दिल्ली को ही
अपनी राजनीतिक गतिविधियों का
मुख्यालय बनाया । अत: स्वतंत्रता प्राप्ति के
बाद दिल्ली को ही भारत की राजधानी के
रूप में चुना गया । दिल्ली का अपना एक लम्बा
इतिहास है । यहाँ की सुन्दर तथा भव्य इमारतें
अपने युग की कहानी कहती हैं ।
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास ही चाँदनी
चौक का मुख्य बाजार है । यहाँ बड़ी-बड़ी
दुकानें हैं । लाखों का व्यापार होता है । हर
समय यहाँ लोगों की भीड़ लगी रहती है । इस
बाजार में प्रत्येक वस्तु मिल जाती है । चाँदनी
चौक के एक ओर जहाँ फतेहपुरी, नई सड़क तथा
नगर निगम की भव्य इमारतें हैं ।
वहाँ दूसरी ओर दीवान हॉल, आर्य समाज
मन्दिर, गौरी शंकर मन्दिर, जैन मन्दिर, प्रसिद्ध
जामा मस्जिद तथा ऐतिहासिक लाल किला
की इमारतें हैं । प्रतिदिन हजारों की सख्या में
लोग इन धार्मिक तथा ऐतिहासिक इमारतों
को देखने दिल्ली आते हैं ।
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