Hindi, asked by vedantchhandrakar036, 10 months ago

hindi essay on plastic ka prayog ek prakop

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Answered by jaysidam498
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आधुनिक युग में जहां एक ओर विज्ञान के द्वारा मानव को अनेक सुख-सुविधाएं प्राप्त हुई हैं वहीे दूसरी ओर विज्ञान से अनेक भयंकर समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं। आज प्लास्टिक की समस्या एक ऐसी ही समस्या है जो विश्व के सामने एक चुनौती बन गई है।

प्लास्टिक का उदय- प्राचीन काल में लोग समान लाने के लिए कपडे़ के थैलों का प्रयोग करते थे तथा छोटे-मोटे समान के लिए कागज के लिफाफों का प्रयोग किया जाता था, परन्तु कागज में तीव्र गति से वृद्वि होने के कारण धीरे-धीरे कागज के लिफाफों का चलन समाप्त हो गया और इनके स्थान पर छोटे-बडे़ सभी समाज के लिए प्लास्टिक के थैलों का प्रयोग किया जाने लगा।

आज मनुष्य द्वारा छोटे-छोटे सामान के लिए जिन प्लास्टिक के छोटे थैलों का प्रयोग किया जा रहा है उन्हें सामान्य भाषा में पन्नी ;पाॅलिथिनद्ध कहते हैं जो हमारे लिए एक बहुत बडी़ समस्या बन गई है।

प्लास्टिक अत्यन्त हानिकारक- आधुनिक युग में प्लास्टिक के इन लिफाफों द्वारा अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। ये नालियों को बन्द कर देते हैं। सड़कों पर पडे़ इन लिफाफों को जब अन्य कागज व कूडे़ के साथ जलाया जाता है तो इसके धुएं से सांस का रोग उत्पन्न होता है।

कूडे़दानों में पडे़ इन  लिफाफों को खाने से गाय व अन्य पशु बीमार पड़ जाते हैं। इन्हें मलबे मे साथ जमीन मे भराव में काम लाना भी खतरनाक है, क्योंकि ये जमीन में गलते नहीं हैं।

उपाय- प्लास्टिक के इस प्रकोप से बचने के लिए सर्वप्रथम उपाय तो इनका उपयोग बन्द करना ही है। छुटकारा पाने का दूसरा प्रमुख उपाय यह है कि इन थ्।ैलियों को न तो जलाना चाहिए और न ही मलबे में दबाना चाहिए, बल्कि इन्हें इकट्ठा करके पुनः प्लास्टिक दानों का रूप देना चाहिए।

जनता को प्लास्टिक से छुटकारा दिलवाने के लिए सरकार का यह कत्र्तव्य है कि वह प्लास्टिक के कचरे को उचित मूल्य पर खरीदे तथा जैसे वह अन्य समान पर सब्सिडी देती है वैसे ही प्लास्टिक पर सब्सिडी दे। तभी हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं तथा साथ ही जनता को अखबार व अन्य प्रकार के कागजों के लिफाफों का प्रयोग करने को प्रेरित करें।

इस प्रकार ही समाज को सचेत करके प्लास्टिक के प्रकोप से बचा जा सकता है।

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