Hindi, asked by shijoycleetus648, 1 year ago

Hindi essay on pusthakalay ka shishaar.

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Answered by mokshitarana7
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Answer:लोकमान्य तिलक के अनुसार- ‘मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहाँ आप ही स्वर्ग बन जाएगा। पुस्तके मनुष्य के अतीत, भविष्य और वर्तमान का दर्पण हैं। पुस्तकालय यानी पुस्तकों का घर अर्थात् वह विशेष स्थान जहाँ भिन्न-भिन्न विषयों से संबंधित ज्ञानवर्धक पुस्तकों का संग्रह किया जाता है। अत: पुस्तकालय ज्ञान-प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। हमें पुस्तकालय में सर्वदा शांति बनाए रखनी चाहिए ताकि दूसरे पाठकगण परेशान न हो। जहां तक संभव हो, पुस्तकालय में हमें बोलकर नहीं पढ़ना चाहिए। इससे पुस्तकालय की शांति भंग हो सकती। इसके अतिरिक्त पुस्तकों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए और उन्हें फाड़ना नहीं चाहिए। यदि आवश्यक हो तो, पुस्तकालयाध्यक्ष से अनुमति लेकर आप पुस्तक की फोटोकॉपी करा सकते हैं या पुस्तकालय के सदस्य बनकर कुछ समय के लिए उस पुस्तक को अध्ययन के लिए अपने घर भी ले जा सकते हैं। इस प्रकार हम पुस्तकालय का अधिकाधिक लाभ उठा सकते हैं। निष्कर्षतः पुस्तकालय समाज के प्रत्येक अमीर व गरीब वर्ग के लिए वरदान सिद्ध होते हैं। अत: इनका उचित प्रकार से उपयोग हमारा नैतिक दायित्व है और उन्हें सुरक्षित रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है।

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