Hindi essay on ‘yadi main chaand par jaa sakti’ of ‘200’ or ‘250’ words.
Can you answer it .Please!!!???
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आसमान की ओर जब भी मैं अपनी नज़रें उठा देखती हूँ, मेरा दिल केवल चाँद की सुंदरता को निहारने को करता है। कितना मनमोहक दृश्य होता है वह। क्या होता "यदि मैं चाँद पर जा सकती ?" यह ख्याल मेरे हृदय में कल रात्री , जब चाँद अपनी खूबसूरती की चर्म सीमा पर था और मैं उसे पागलों की तरह निहार रही थी, तब उत्तपन्न हुआ।
कितना मजेदार अथवा रोमांचक सफर होगा, पृथ्वी से चाँद तक का! जिस चाँद को मैं प्रतिदिन जब वह आकाश में अपनी खूबसूरती की मौजूदगी संसार को अनुभव करवाता है,उसे 384,400 कि. मी. की दूरी से केवल दो पल के लिए देख पाती हूँ। परंतु यदि मैं चाँद पर जा सकती तब पूरे समय उसकी खूबसूरती से प्रसन्न होती रहती। उसके रोशन सतह को छू पाती।
पृथ्वी को मैं एक अलग ही ढंग से देख पाती चाँद से। चाँद से पृथ्वी के अलावा कई और ग्रहों को भी अलग ढंग से देख और समझ पाती। मैं और मेरा चाँद,पूरे दिन देखते पृथ्वी वासियों को, और करते ढेर सारी बातें। ना कोई मुझे वहां दांटता और ना ही कोई परेशान करने के लिए मौजूद होता। मुझे चाँद जैसा खूबसूरत मित्र और चाँद को मुझ जैसी बड़बड़ाने वाली सखी मिल गयी होती। मैं अपनी सारी बातें चाँद से साँझा करती, और शायद ही आज के संसार में चाँद से अधिक विश्वासपात्र मित्र किसिको मिलता हैं।
परंतु अब यह सब तो रहीं ख्वाबों की दुनिया की बातें, सच्चाई तो यह है कि वह कंबख्त चाँद मुझसे उतनी ही दूरी पर हर रात्री ठेहर सा जाता है जितना वह कल रात्री को था, और मैं बस उसे निहारती रह जाती हूँ।