Hindi, asked by omniphade4, 9 months ago

Hindi essay prani sngralay me ek ghanta answer me quickly ?​

Answers

Answered by subhashbharathi1
2

Answer:

Explanation:

पिछले महीने मुझे दिल्ली में अपने किसी मित्र के पास जाने का अवसर प्राप्त हुआ। संयोग से उन दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी चल रही थी । मैंने अपने मित्र के साथ इस प्रदर्शनी को देखने का निश्चय किया। शाम को लगभग पांच बजे हम प्रगति मैदान पर पहुंचे । प्रदर्शनी के मुख्य द्वार पर हमें यह सूचना मिल गई कि इस प्रदर्शनी में लगभग 30 देश भाग ले रहे हैं । हमने देखा कि सभी देशों ने अपने-अपने पंडाल बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं । उन पंडालों में उन देशों की निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था । अनेक भारतीय कंपनियों ने भी अपने-अपने पंडाल सजाए हुए थे । प्रगति मैदान किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था । प्रदर्शनी में सजावट और रोशनी का प्रबन्ध इतना शानदार था कि अनायास ही मन से वाह निकल पड़ती थी । प्रदर्शनी देखने आने वालों की काफ़ी भीड़ थी । हमने प्रदर्शनी के मुख्य द्वार से टिकट खरीद कर भीतर प्रवेश किया । सबसे पहले हम जापान के पंडाल में गए । जापान ने अपने पंडाल में कृषि, दूर संचार, कम्प्यूटर आदि से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया था । हमने वहाँ इक्कीसवीं सदी में टेलीफोन एवं दूर संचार सेवा कैसी होगी इस का एक छोटा-सी नमूना देखा । जापान ने ऐसे टेलिफोन का निर्माण किया था जिसमें बातें करने वाले दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की फोटो भी देख सकेंगे । वहीं हमने एक पॉकेट टेलीविज़न भी देखा जो सिगरेट की डिबिया जितना था ।सारे पंडाल का चक्कर लगाकर हम बाहर आए । उसके बाद हमने दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और जर्मनी के पंडाल देखे। उस प्रदर्शनी को देख कर हमें लगा कि अभी भारत को उन देशों का मुकाबला करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी । हमने वहां भारत में बनने वाले टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि का पंडाल भी देखा । वहां यह जानकारी प्राप्त करके मन बहुत खुश हुआ कि भारत दूसरे बहुत-से देशों को ऐसा सामान निर्यात करता है । भारतीय उपकरण किसी भी हालत विदेशों में बने सामान से कम नहीं थे । कोई घण्टा भर प्रदर्शनी में घूमने के बाद हमने प्रदर्शनी में ही बने रस्टोरेंट में चाय-पान किया और इक्कीसवीं सदी में दुनिया में होने वाली प्रगति का नक्शा आँखों में बसाए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक जानकारी प्राप्त करके घर वापस आ गए ।

Answered by aradhya9196
1

Answer:

Little Big But Hope it will help.

Explanation:

सिकंदर हयात

अपने एक लेख में प्रेमचंद बताते हे की जीवन में साहित्य का क्या महत्व हे ? क्या स्थान हे क्यों हे ? आज की भागती दौड़ती जिंदगी में इंसान किसी चीज़ से सबसे ज़्यादा दूर हो रहा हे तो साहित्य भी हे इसके दुष्परिणाम भी साफ़ तौर पर देखे जा सकते हे लोगो की अच्छा कहने सुनने की एक दुसरे को समझने की रोचक बातचीत की क्षमता कम हो रही हे कारण साफ़ हे की दिमाग और मन दोनों की ही खुराक पढ़ना और साहित्य होता ही हे टी वी इंटरनेट और दुसरे माध्यम जीवन में साहित्य का स्थान बिलकुल नहीं ले सकते हे प्रेमचंद बड़े ही सुन्दर शब्दों में बताते हे की जीवन में साहित्य का क्या महत्व हे ?

”साहित्य का आधार जीवन हे इसी नीव पर साहित्य की दीवार कड़ी होती हे उसकी अटारिया मीनार और गुम्बंद बनते हे लेकिन बुनियाद मिटटी के नीचे दबी पड़ी हे उसे देखने का भी जी नहीं चाहेगा जीवन परमात्मा की सर्ष्टि हे इसलिए अंनत हे , अगम्य हे साहित्य मनुष्य की सर्ष्टि हे इसलिए सुबोध हे सुगम और मर्यादा से परिमित हे जीवन परमात्मा को अपने कामो का जवाबदेह हे या नहीं , हमें मालूम नहीं लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह हे इसके लिए कानून हे जिससे वह इधर उधर नहीं हो सकता हे ”

Hope it Helps

Please mark me as the brainliest

Similar questions