hindi essay दीपावली 200
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दीपावली या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।
परिचय
प्रभु राम के चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाया गया, तब से प्रति वर्ष दिवाली मनाया जाने लगा। स्कंद पुराण के अनुसार दिवाली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। अतः आध्यात्मिक दृष्टि से दिवाली हिंदुओं का बहुत अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है।
दीपावली के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रचलित कथाएं (इतिहास)
दिवाली का इतिहास बहुत पुराना है, इससे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जैसे कुछ लोगों के अनुसार सतयुग में भगवान नृसिंह ने इस दिन हिरण्यकश्यप का वध किया था इस उपलक्ष्य में दिवाली मनाया जाता है। कुछ लोगों का मानना है द्वापर में कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक आमवस्या को किया था इसलिए मनाया जाता है। कुछ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी दूध सागर से प्रकट हुई थी, एवं अन्य के अनुसार माँ शक्ति ने उस दिन महाकाली का रूप लिया था इसलिए मनाया जाता है।
दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा
दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।
दीपावली कब मनाई जाती है
उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।
दीपावली का महत्व
दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।
दीपावली की विशेष तैयारी
दिवाली की तैयारी घरों में हफ्तों पहले से शुरु कर दी जाती है। घर, मकानों को पेंट किया जाता है। सभी बेकार की वस्तुओं को फेक दिया जाता है। घर के कोने-कोने की सफाई की जाती है। यह इस दृष्टि से स्वच्छता का त्योहार है।
दीपावली कैसे मनाते हैं
दिवाली पर सभी अपने घरों को विभिन्न साज-सज्जा की सामग्री से सजाते हैं, लोग अपने-अपने घरों को अनेक दीपकों की सहायता से रौशन करते हैं, लक्ष्मी पूजन करते हैं और पटाखे, फुलझड़ी जलाते हैं। महिलाओं द्वारा घर के आंगन में रंगोली बनायी जाती है। शाम में लोग एक-दूसरे के घर सूखे मेवे और मिठाइयां लेकर उनसे मिलने जाते हैं।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन करने की परंपरा एवं पूजा का महत्व
दिवाली के संध्या में अपने घर के पूर्व दिशा में धन की देवि लक्ष्मी तथा गणेश की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा, अर्चना, पाठ करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं। व्यक्ति को धन और यश की प्रात्ति होती है।
छोटी
दीपावली पर दुल्हन की तरह सजा बाजार
दीपावली के समय पर बाजार दुल्हन के तरह सजा मिलता है। सड़के रंग-बिरंगी छोटी-छोटी बल्ब वाले लाइट से रौशन होता है। दुकानों में विभिन्न प्रकार के पटाखे, मिठाई, बरतन आदि बिक रहें होते हैं। आभूषण व इलेक्ट्रॉनिक्स के दुकानों पर विशेष भीड़ देखी जाती है।
दीपावली एक पर्व नहीं बल्कि पर्वों की श्रृंखला है
दीपावली से जुड़े अन्य पांच पर्व इसे पर्वों की श्रृंखला का रूप देता है। इसकी शुरुआत कार्तिक त्रियोदश के धनतेरस से होती है। उसके अगले दिन नरक चतुर्दशी अर्थात छोटी दिपावली तत्पश्चात लक्ष्मी पूजन (दीपावली), दिपावली की दूसरी सुबह गोवर्धन पूजा और अंत में यम द्वितीय या भाई दूज मनाते हैं।
निष्कर्ष
दीपावली पांच दिनों तक चलने वाले पर्व के समुह के रूप में भी जाना जाता है। प्रत्येक दिन का आध्यत्मिक महत्व है। यह पांच दिन हमारे जीवन के अंधकार को प्रकाश से भर देते हैं।
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