Hindi, asked by vanshkumar17530, 3 months ago

Hindi essay writing bhartiya Ritu chakra Ka varnan.​

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Answered by gouravsaha8086
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परिचय

मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋतु वातावरण में समय-समय पर मौजूद होती है। जिसमें गर्मी, ठंडी और बरसात प्रमुख है पर कभी ज्यादा गर्मी पड़ती है तो कभी समान्य, ठंड के साथ भी समान स्थिति पायी जाती है। इस कारणवश इनका विभाजन छः हिस्सों में कर दिया गया है।

ऋतु परिर्वतन के प्रमुख कारण

ग्रीष्म ऋतु - जब सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर अग्रसर होता है इसके फलस्वरूप भारत में ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। इसके साथ ही तापमान भी उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है। इससे पूरा देश ताप से तपता है। मई-जून के महिने में उत्तरी पश्चिम (राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब) का तापमान बढ़कर 47 डिग्री से. (470 C) हो जाता है। वहीं उत्तर भारत के शुष्क भागों में इस समय दोपहर में गर्म हवाएं चलती हैं जिन्हें ‘लू’ कहा जाता है। भारत समेत उत्तरी गोलार्द्ध पर पड़ने वाले सभी देशों में, अन्य दिनों की तुलना में 21 जून सबसे बड़ा दिन होता है। ऐसा सूर्य के कर्क रेखा से गुजरने पर सूर्य की किरण उत्तरी गोलार्द्ध पर अधिक समय तक लम्बवत पड़ने के वजह से होता है।

ग्रीष्म का उपहार - ग्रीष्म ऋतु में गर्मी अधिक पड़ने के कारण वर्षा ऋतु में बरसात भी अधिक होता है, जिससे किसान के फसलों की उत्पादन में वृद्धि होती है।

शीत ऋतु - भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली शीतोष्ण चक्रवात पाकिस्तान तथा ईराक को पार करने के पश्चात भारत में प्रवेश करती। जिससे जम्मू काश्मीर, पश्चिमी पंजाब आदि क्षेत्रों में हलकी वर्षा के साथ शीत ऋतु का आगमन होता है। उत्तरी भारतीय क्षेत्रों में वर्षा तथा हिमपात (बर्फ़ गिरना) के कारण शीत ऋतु अपने चरम पर पहुंच जाता है। भारत में शीत ऋतु की समयावधि 15 दिसम्बर से 15 मार्च है। खगोलीय कारणों के वजह से सूर्य के प्रकाश का पृथ्वी पर न पड़ने के वजह से 21 दिसम्बर का दिन साल का सबसे छोटा दिवस होता है।

शीत ऋतु की संदुरता, रात में चंद्रमा के चांदनी से सारा जग जगमगा उठता है तथा दिन में तालाब में खिले पुष्पों पर भवरे आदि बैठ कर शरद की शोभा बढ़ाते हैं।

वर्षा ऋतु - भारत में दक्षिणी पश्चिमी मानसून हवाओं के प्रवाहित होने से पूरे देश में वर्षा होती है। दक्षिण से चलने वाली हवाएं बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से होकर गुजरते हुए सागर की नमी को स्वयं में समाहित कर लेती है। जहां-जहां यह पर्वतों से टकराती है वहां वर्षा होती है। यही कारण है राजस्थान में वर्षा न होने का, क्योंकि राजस्थान में एक भी पर्वत श्रृंखला नहीं है। बंगाल की खाड़ी पर हवा के माध्यम से ऊपर उठती नमी गारो-खासी पर्वत से टकराकर मेघालय के मासिनराम तथा चेरापूंजी गांव में विश्व में सर्वाधिक वर्षा का कारण बनते हैं। इस गांव में निवास करने वाले लोग घर से बाहर बिना छाता कभी नहीं जाते तथा घने बादल के सुंदर दृष्य को हम पास से देख सकते हैं।

वर्षा के आगमन सेचारों ओर हरियाली छा जाती है। प्रकृति का सबसे सुंदर स्वरूप देखने का सुख वर्षा ऋतु में प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

पृथ्वी के विभिन्न भौगोलिक क्रियाओं के परिणाम स्वरूप ऋतुओं में परिवर्तन देखा जाता है। पाषण काल (जब से मनुष्य जाति अस्तित्व में आए), उस समय से पूर्व से ऋतु परिवर्तन होने के सबूत प्राप्त होते हैं अतः इससे स्पष्ठ है, ऋतु परिवर्तन प्राकृतिक घटनाओं द्वारा होता है।

लक्ष्मी श्रीवास्तव

लक्ष्मी श्रीवास्तव ने अर्थशास्त्र एवं पत्रकारिता में स्नातक किया है। इनकी समाज कल्याण के कार्यों में अति रूचि है। इस कारण इन्होंने समाज कार्य में परास्नातक किया है। इनके अनुसार, लेखनी ही वो विधा है, जिससे हम बड़ी आसानी से अपनी बात लोगो तक पहुँचा सकते हैं। ये अपना ज्यादातर समय सृजनात्मक कार्यों में लगाती है।

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