Hindi explanation of class 10 English chapter glimpses of india all parts.
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इस अंश में लेखक गोआ में अपने पुराने दिनों को याद करता है जब गाँव का बेकर (पावरोटी आदि बनाने वाला ) जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था I यधपि, समय के बीतने के साथ लोग अब इतनी अधिक पावरोटी नहीं खाते, मगर गाँव में बेकर अब भी है I पुर्तगाली लोग पावरोटी बनाने के लिए प्रसिद्ध थे I वे गोआ को बहुत पहले ही छोड़ गए I मगर गोआ में बेकर के परम्परागत काम को अब भी देखा जा सकता है I वे भट्टियाँ जिसमें पावरोटी बनाई जाती थी अब भी वहाँ विधमान है I परम्परागत बेकरों की बाँस की छड़ी की आवाज को अभी भी सुना जा सकता है I बेकर के परिवार में से कोई-न-कोई अभी भी उस व्यवसाय और परम्परा को आगे बढ़ाए हुए है I गोआ में इन बेकरों को आज भी पेदर कहा जाता है Iलेखक याद करता है कि एक बेकर गाँव में रोज दो बार आता था I वह लेखक का मित्र एवं पथ-प्रदर्शन होता था I उसने बाँस की एक छड़ी उठाई होती थी I इस छड़ी की आवाज से लेखक और अन्य लोग नींद से जाग जाते थे I अलग-अलग घरों के नौकर पावरोटी खरीदते थे I मगर लेखक पावगजरों को खरीदने के लिए बेकर के पास भाग जाया करता था I
लेखक याद करता है कि एक बेकर गाँव में रोज दो बार आता था I वह लेखक का मित्र एवं पथ-प्रदर्शन होता था I उसने बाँस की एक छड़ी उठाई होती थी I इस छड़ी की आवाज से लेखक और अन्य लोग नींद से जाग जाते थे I अलग-अलग घरों के नौकर पावरोटी खरीदते थे I मगर लेखक पावगजरों को खरीदने के लिए बेकर के पास भाग जाया करता था Iबेकर की बाँस की छड़ी विशेष होती थी I उस बाँस को जमीन पर पटकर वह ‘झैंग- झैंग’ की आवाज पैदा करता था I बेकर एक हाथ में अपने सिर पर पावरोटी की टोकरी को सहारा देता था और दूसरे से वह बाँस को जमीन पर पटकता था I जब भी कोई उसके पास पावरोटी खरीदने के लिए आता था तो वह टोकरी को बाँस पर रखता था Iलेखक और अन्य लोग उसकी टोकरी में देखते थे I उन दिनों में गरम चाय के साथ पावरोटी खाने का रिवाज था I लेखक पावरोटी का इतना शौकीन था की वह इसे खाने से पहले अपने दाँत भी साफ नहीं करता था I
लेखक याद करता है कि एक बेकर गाँव में रोज दो बार आता था I वह लेखक का मित्र एवं पथ-प्रदर्शन होता था I उसने बाँस की एक छड़ी उठाई होती थी I इस छड़ी की आवाज से लेखक और अन्य लोग नींद से जाग जाते थे I अलग-अलग घरों के नौकर पावरोटी खरीदते थे I मगर लेखक पावगजरों को खरीदने के लिए बेकर के पास भाग जाया करता था Iबेकर की बाँस की छड़ी विशेष होती थी I उस बाँस को जमीन पर पटकर वह ‘झैंग- झैंग’ की आवाज पैदा करता था I बेकर एक हाथ में अपने सिर पर पावरोटी की टोकरी को सहारा देता था और दूसरे से वह बाँस को जमीन पर पटकता था I जब भी कोई उसके पास पावरोटी खरीदने के लिए आता था तो वह टोकरी को बाँस पर रखता था Iलेखक और अन्य लोग उसकी टोकरी में देखते थे I उन दिनों में गरम चाय के साथ पावरोटी खाने का रिवाज था I लेखक पावरोटी का इतना शौकीन था की वह इसे खाने से पहले अपने दाँत भी साफ नहीं करता था Iगाँव का बेकर प्रत्येक अवसर पर विशेष तौर पर महत्वपूर्ण होता था I गाँव वाले उस मीठी पावरोटी, जिसे ‘बोल’ कहा जाता था, के विशेष शौकीन थे I इन मीठी पावरोटियों के बिना शादी के उपहारों का कोई अर्थ नहीं था I क्रिसमस एवं अन्य त्योहारों पर सेंडविच, केक और बोलिनाह बहुत जरूरी होते थे I ये पावरोटी से बनाए जाते थे I इस प्रकार बेकर की भट्टी में बनाया जाता था I