Hindi, asked by attitudegirl66, 1 year ago

hindi explanation of ras for class 10

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Answered by rachitsainionline
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रस की परीभाशा है:

कावय को पढते या सुनते समय जो आनंद होता है उसे रस कहते हैै।

रस को कावय की आतमा माना जाता है।

रस के अंग है:

1.विभाव

2.अनुभाव

3.सथाई भबनव

4संचारीभाव

1. विभाव :- जो व्यक्ति , पदार्थ, अन्य व्यक्ति के ह्रदय के भावों को जगाते हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके आश्रय से रस प्रकट होता है यह कारण निमित्त अथवा हेतु कहलाते हैं। विशेष रूप से भावों को प्रकट करने वालों को विभाव रस कहते हैं। इन्हें कारण रूप भी कहते हैं।

स्थायी भाव के प्रकट होने का मुख्य कारण आलम्बन विभाव होता है। इसी की वजह से रस की स्थिति होती है। जब प्रकट हुए स्थायी भावों को और ज्यादा प्रबुद्ध , उदीप्त और उत्तेजित करने वाले कारणों को उद्दीपन विभाव कहते हैं।

2. अनुभाव :- मनोगत भाव को व्यक्त करने के लिए शरीर विकार को अनुभाव कहते हैं। वाणी और अंगों के अभिनय द्वारा जिनसे अर्थ प्रकट होता है उन्हें अनुभाव कहते हैं। अनुभवों की कोई संख्या निश्चित नहीं हुई है।

3. संचारी भाव :- जो स्थानीय भावों के साथ संचरण करते हैं वे संचारी भाव कहते हैं। इससे स्थिति भाव की पुष्टि होती है। एक संचारी किसी स्थायी भाव के साथ नहीं रहता है इसलिए ये व्यभिचारी भाव भी कहलाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी जाती है।

4. स्थायीभाव :- काव्यचित्रित श्रृंगार रसों के मुलभुत के कारण स्थायीभाव कहलाते हैं। जो मुख्य भाव रसत्व को प्राप्त होते सकते हैं। रसरूप में जिसकी परिणति हो सकती है वे स्थायी होते हैं। स्थाईभावों की स्थिति काफी हद तक स्थायी रहती है। इसमें आठ रसों की स्थिति प्राप्त हो सकती है।

रस के प्रकार :-

1. श्रृंगार रस

2. हास्य रस

3. रौद रस

4. करुण रस

5. वीर रस

6. अदुभत रस

7. वीभत्स रस

8. भयानक रस

9. शांत रस

10. वात्सल्य रस

11. भक्ति रस


Answered by shailendrashaw77
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