Hindi Idgah 10th class lesson Saransh
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सारांश
मुंशी प्रेमचंद विश्व विख्यात आदर्श वनों के आधारित वादी उपन्यासकार और कहानीकार है|इनकी रचनाओं में भारत में ग्रामीण जनजीवन का सजीव चित्रण मिलता है|प्रस्तुत कहानी ईदगाह में त्यागी सद्भाव एमएलए के और बड़े बुजुर्गों का हितकारी लड़के का जीता जगाता वर्णन है|
हमीद एक दुबला पतला बोला बालक और चार-पांच साल का गरीब लड़का है|उसमें माता-पिता मर गए| यह बात उसे पता नहीं दादी मां की देखरेख में पलता है |उसके जूते तक नहीं है| घर में दाना तक नहीं है|
ईद का दिन है| प्रकृति मनोहर है |दोस्तों के साथ वह 3 कोस की दूरी पर स्थित ईदगाह पैदल जाता है| नमाज समाप्त होते ही सारे बच्चे मनपसंद के खिलौने और मिठाई खरीदते हैं| हमें खिलौने को ललचाए आंखों से देखता है पर चुप रहता है| वह सोचता है कि बुढ़िया दादी के पास चिंता नहीं है| इसीलिए अक्सर उसके हाथ और उंगलियां जल जाती है| तुरंत वहां मोर गांव करके अपने पास के पूरे 3 पैसों में से चिमटा खरीदता है| दोस्तों उसकी मजाक करते हैं |वहां उनकी प्रवाह नहीं करता| घर लौट कर बाहर दादी को चिंता देता है |दादी मां उसको दुआएं देती है और खुशी से आंसू बहाती है|
इस प्रकार प्रेमचंद इस कहानी में घटना के सूत्र को रमणी कल्पना में परोपकार संवेदनशीलता पैदा कर प्रभावोत्पादक बनाते हैं|