Hindi is poem ka bhavarth Hindi mein class 8 chapter 1
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ध्वनि कविता का भावार्थ- ध्वनि कविता में कवि कहता है कि प्रकृति में वसंत ऋतु का आगमन होने से अभी प्राकृतिक सुंदरता नष्ट नहीं होगी। प्राकृति कहती है कि उसके जीवन में सुंदर कोमल वसंत ऋतु का अभी-अभी ही तो आगमन हुआ है। वसंत के आने से चारों तरफ वन-उपवन में सुंदरता ही सुंदरता फैली फैल गई है।
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प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मंजरी’ के ‘मनभावन सावन’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता सुमित्रानन्दन पन्त हैं।कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कविता के अन्त में कवि ने जन-जन के जीवन में सावन का उल्लास भरने की कामना की है।
भावार्थ:प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कवि कहता है कि सावन के बादल झम झम करके तेज वर्षा करते हैं। बादलों की बूंदें पेड़ों पर गिरती हैं और उनसे
छनकर पृथ्वी पर छम-छम की आवाज करके गिरती हैं। बादल से चमचम करके बार-बार बिजली चमकती है। दिन में अँधेरा हो जाता है और आदमी रुक-रुक कर सोचने लगता है, मानो स्वप्न देख रहा हो। ताड़ के पत्ते पंखों से नजर आते हैं, लम्बी-लम्बी अँगुलियाँ और हथेली के साथ उन पर पानी की धार तड़-तड़ करके पड़ती है। हाथ और मुँह से बूंदें झिल-मिल करती हुई उप-टप गिरती हैं।
भावार्थ:प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादल का मनोरम चित्र खींचा है। कवि कहता है कि सावन के बादल झम झम करके तेज वर्षा करते हैं। बादलों की बूंदें पेड़ों पर गिरती हैं और उनसे
छनकर पृथ्वी पर छम-छम की आवाज करके गिरती हैं। बादल से चमचम करके बार-बार बिजली चमकती है। दिन में अँधेरा हो जाता है और आदमी रुक-रुक कर सोचने लगता है, मानो स्वप्न देख रहा हो। ताड़ के पत्ते पंखों से नजर आते हैं, लम्बी-लम्बी अँगुलियाँ और हथेली के साथ उन पर पानी की धार तड़-तड़ करके पड़ती है। हाथ और मुँह से बूंदें झिल-मिल करती हुई उप-टप गिरती हैं।
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