Hindi ka janak kise kaha jata hai
Answers
Answered by
84
भरतेन्द्र हरीशचंद्र ने हिंदी, पंजाबी, बंगाली और मारवाड़ी सहित कई भाषाओं में लिखा था
'आधुनिक हिंदी साहित्य और हिंदी रंगमंच के पिता' के रूप में माना जाता है, भरतेंदू हरिश्चंद्र का 13 जनवरी, 1885 को लगभग 132 साल पहले निधन हो गया। वे सबसे बड़ी हिंदी लेखकों में से एक थे, जिनके लेखों में भारत की सामाजिक वास्तविकता पर असर पड़ा। पांच वर्ष की उम्र में कविता लिखना शुरू करने वाले हरिश्चंद्र, वास्तव में एक बहुभाषी थे, अर्थात् वे बंगाली, पंजाबी, मारवाड़ी और गुजराती सहित कई भाषाओं में अच्छी तरह से वाकिफ थे। वे 9 सितंबर को वाराणसी में 1850 में पैदा हुए थे।
भरतेंदू हरिश्चंद्र एक हिंदू परंपरावादी थे जिन्होंने सामाजिक, ऐतिहासिक और पुराण नाटकों और उपन्यासों के बारे में लिखा था
भंवरेंन्द्र बंगाल पुनर्जागरण से प्रभावित था जब वह 15 वर्ष की उम्र में जगन्नाथ मंदिर की यात्रा में था
उन्होंने पेन नाम, रस के तहत लिखा था
काशी के विद्वानों द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में उन्हें 'भरतेंदू' का खिताब दिया गया था
'आधुनिक हिंदी साहित्य और हिंदी रंगमंच के पिता' के रूप में माना जाता है, भरतेंदू हरिश्चंद्र का 13 जनवरी, 1885 को लगभग 132 साल पहले निधन हो गया। वे सबसे बड़ी हिंदी लेखकों में से एक थे, जिनके लेखों में भारत की सामाजिक वास्तविकता पर असर पड़ा। पांच वर्ष की उम्र में कविता लिखना शुरू करने वाले हरिश्चंद्र, वास्तव में एक बहुभाषी थे, अर्थात् वे बंगाली, पंजाबी, मारवाड़ी और गुजराती सहित कई भाषाओं में अच्छी तरह से वाकिफ थे। वे 9 सितंबर को वाराणसी में 1850 में पैदा हुए थे।
भरतेंदू हरिश्चंद्र एक हिंदू परंपरावादी थे जिन्होंने सामाजिक, ऐतिहासिक और पुराण नाटकों और उपन्यासों के बारे में लिखा था
भंवरेंन्द्र बंगाल पुनर्जागरण से प्रभावित था जब वह 15 वर्ष की उम्र में जगन्नाथ मंदिर की यात्रा में था
उन्होंने पेन नाम, रस के तहत लिखा था
काशी के विद्वानों द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में उन्हें 'भरतेंदू' का खिताब दिया गया था
Answered by
58
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी को आधुनिक हिंदी का जनक कहा जाता है।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को आधुनिक हिन्दी साहित्य का पितामह कहा जाता है। आधुनिक काल में हिन्दी साहित्य का प्रारम्भ भारतेन्दु काल से हुआ। वे भारतीय नव जागरण के अग्रदूत थे।
वे एक बहुमुखी साहित्यकार थे। वे एक कवि, निबंधकार, पत्रकार और नाटककार थे। उन्होंने देश में सबको जागरण का नवसंदेश दिया। उनका दृष्टिकोण सुधारवादी था। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा लोगों में राष्ट्रीय चेतना जागृत करी। कवि वचन सुधा, हरिश्चंद्र मैगज़ीन, हरिश्चंद्र चन्द्रिका, बाला बोधिनी आदि उनकी पत्रिकाएं थीं।
उन्होंने देश की गरीबी, पराधीनता और शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। उन्होंने हिंदी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयत्न किये।
Similar questions