Hindi, asked by msdabdul39, 11 months ago

hindi kavi parchayam​

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Answered by rahulkeshri8737
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Answer:

कविता की परम्परा बहुत लम्बी है। शिव सिंह सेंगर ने हिन्दी साहित्य के आदि काल के प्रथम कवि के रूप में 'पुष्य' या 'पुण्ड' का नाम प्रस्तावित किया है। कुछ विद्बान सरहपाद को हिन्दी का पहला कवि मानते हैं।[1] सरहपाद और उनके समवर्ती व परवर्ती सिद्धों ने दोहों और पदों के रूप में अपनी स्फुट रचनाएं प्रस्तुत कीं। रासोकाल तक आते-आते प्राचीन हिन्दी का रूप स्थिर हो चुका था। अपभ्रंश और शुरुआती हिन्दी परस्पर घुली-मिली दिखाई देती हैं। धीरे-धीरे हिन्दी में परिष्कार होता रहा और अपभ्रंश भाषा के पटल से लुप्त हो गई।

अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना (१५५६-१६२७)

अम्बरीष श्रीवास्तव (१९६५-)

अमीर ख़ुसरो (१२५३-१३२५) संगीतकार, विद्वान और कवि

अशोक चक्रधर

अटल बिहारी वाजपेयी

उदय प्रकाश

कबीर

काका हाथरसी

केदारनाथ अगरवाल

केदारनाथ सिंह

कृपालु महाराज

कुमार विश्वास

कुँवर बेचैन

कुँवर नारायण

वीरेन्द्र कुमार बरनवाल

गोपाल सिंह नेपाली

गोपालदास नीरज

डॉ.हरेराम सिंह

जयशंकर प्रसाद

तारा सिंह

तुलसीदास

दिनेश सिंह

धर्मवीर भारती

नरेश मेहता

नरोत्तम दास

नागार्जुन

प्रसून जोशी

फूलचंद गुप्ता

बालकृष्ण राव

बालस्वरूप राही

भवानी प्रसाद मिश्रा

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'[2]

महादेवी वर्मा

मैथिलीशरण गुप्त

माखनलाल चतुर्वेदी

मानवेन्द्र सिंह

मीरा बाई

मोहन राणा

वीरेंद्र आस्तिक

रवीन्द्र प्रभात

रामभद्राचार्य

रामधारी सिंह 'दिनकर'

राम रतन भटनागर

लक्ष्मी शंकर बाजपाई

वाल्मीकि

वीरेन्द्र खरे 'अकेला'

वृन्द

शिवदीन राम जोशी

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शैल चतुर्वेदी

सच्चिदानंद वात्स्यायन

सावित्रि नौटियाल काला 'सवि'

सुभद्रा कुमारी चौहान

सुमित्रानंदन पंत

सूरदास

सूर्यकुमार पाण्डेय

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

सोम ठाकुर

हरिवंशराय बच्चन

रामश्याम 'हसीन'

संदर्भ:

भारतीय साहित्य की पहचान ; पृष्ट ६२० (गूगल पुस्तक ; लेखक-सियाराम तिवारी)

* डॉ॰ गिरिराज शरण अग्रवाल एवं डॉ॰ मीना अग्रवाल हिन्दी साहित्यकार सन्दर्भ कोश (दूसरा भाग) २००६ हिन्दी साहित्य निकेतन बिजनौर (उ०प्र०) ISBN 81-85139-29-6 पृष्ठ २६३

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