Hindi kavita ki vikas yatra se aap bhali bhanti parichit hai.aap kis kaal ki kavita se sarvadhik prabhavit hai aur kyon? Us kaal ki mukhaya vishestaien aur rachnayein ke name likhiye?
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हिंदी साहित्य के भक्ति काल से मैं सर्वाधिक प्रभावित किया है। पूरी हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में पाएं जाते हैं।
दक्षिण में आलवार नाम से कई प्रख्यात भक्त हुए हैं। वे बहुत पढे-लिखे नहीं थे, परंतु अनुभवी थे। आलवारों का दक्षिण में आचार्यों की एक परंपरा चली जिसमें रामानुजाचार्य प्रमुख थे।
महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग की स्थापना की और विष्णु के कृष्णावतार की उपासना करने का प्रचार किया। उनके द्वारा जिस लीला-गान का उपदेश हुआ उसने देशभर को प्रभावित किया। अष्टछाप के सुप्रसिध्द कवियों ने उनके उपदेशों को मधुर कविता में प्रतिबिंबित किया।
संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
सगुण भक्ति
रामाश्रयी शाखा और
कृष्णाश्रयी शाखा
निर्गुण भक्ति
ज्ञानाश्रयी शाखा और
प्रेमाश्रयी शाखा
प्रमुख रचनाएं---
१)ज्ञानमार्गी निर्गुण शाखा
कबीरदास --बीजक (साखी,सबद,रमैनी) ,दादू दयाल--साखी, पद, रैदास-- पद, गुरु नानक --गुरु ग्रन्थ साहब में महला।
२) ज्ञानमार्गी सगुण शाखा
मालिक मोहम्मद जायसी--पद्मावत, अखरावट, आखरी कलाम, कुतुबन--मृगावती,मंझन--मधुमालती,उसमान--चित्रावली।
३)सगुण राम भक्ति शाखा
गोस्वामी तुलसीदास--रामचरितमानस,विनयपत्रिका
कवितावली, गीतावली--नाभादास--भक्तमाल, स्वामी अग्रदास -- रामध्यान ,मंजरी रघुराज सिंह-- राम स्वयंवर
४)सगुण कृष्ण भक्ति शाखा
सूरदास--सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नंददास--पंचाध्यायी ,कृष्णदास--भ्रमर-गीत और प्रेमतत्त्व कुम्भनदास--पद, परमानन्ददास--ध्रवचरित, दानलीला,चतुर्भुजदास--भक्तिप्रताप, द्वादश-यश, नरोत्तमदास--सुदामा चरित,रहीम--दोहावली, सतसई,रसखान--प्रेमवाटिका,मीरा नरसी का माहरा, गीत गोविन्द की टीका, पद।
दक्षिण में आलवार नाम से कई प्रख्यात भक्त हुए हैं। वे बहुत पढे-लिखे नहीं थे, परंतु अनुभवी थे। आलवारों का दक्षिण में आचार्यों की एक परंपरा चली जिसमें रामानुजाचार्य प्रमुख थे।
महाप्रभु वल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग की स्थापना की और विष्णु के कृष्णावतार की उपासना करने का प्रचार किया। उनके द्वारा जिस लीला-गान का उपदेश हुआ उसने देशभर को प्रभावित किया। अष्टछाप के सुप्रसिध्द कवियों ने उनके उपदेशों को मधुर कविता में प्रतिबिंबित किया।
संक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं :
सगुण भक्ति
रामाश्रयी शाखा और
कृष्णाश्रयी शाखा
निर्गुण भक्ति
ज्ञानाश्रयी शाखा और
प्रेमाश्रयी शाखा
प्रमुख रचनाएं---
१)ज्ञानमार्गी निर्गुण शाखा
कबीरदास --बीजक (साखी,सबद,रमैनी) ,दादू दयाल--साखी, पद, रैदास-- पद, गुरु नानक --गुरु ग्रन्थ साहब में महला।
२) ज्ञानमार्गी सगुण शाखा
मालिक मोहम्मद जायसी--पद्मावत, अखरावट, आखरी कलाम, कुतुबन--मृगावती,मंझन--मधुमालती,उसमान--चित्रावली।
३)सगुण राम भक्ति शाखा
गोस्वामी तुलसीदास--रामचरितमानस,विनयपत्रिका
कवितावली, गीतावली--नाभादास--भक्तमाल, स्वामी अग्रदास -- रामध्यान ,मंजरी रघुराज सिंह-- राम स्वयंवर
४)सगुण कृष्ण भक्ति शाखा
सूरदास--सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नंददास--पंचाध्यायी ,कृष्णदास--भ्रमर-गीत और प्रेमतत्त्व कुम्भनदास--पद, परमानन्ददास--ध्रवचरित, दानलीला,चतुर्भुजदास--भक्तिप्रताप, द्वादश-यश, नरोत्तमदास--सुदामा चरित,रहीम--दोहावली, सतसई,रसखान--प्रेमवाटिका,मीरा नरसी का माहरा, गीत गोविन्द की टीका, पद।
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