Hindi, asked by vishu2006vy, 9 months ago

Hindi ke prachar mein cinema ka mahatva per nibandh

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Answered by ss4051461
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Answer:

Hi Han

cinema Ka bahut mahatwa hai qki

Hindi pictures

har log dekhte hay

Answered by gopalberma
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सिनेमा का जीवन पर प्रभाव निबंध Essay on Impact of Cinema in Life Hindi

भारत में सिनेमा की शुरुवात 1913 में हुई थी जब पहली बार राजा हरिश्चंद्र पर “हरिश्चंद्र” नामक मूक फिल्म बनाई गयी थी। पहली बोलती फिल्म “आलमआरा” का निर्माण 1931 में किया गया था।

सिनेमा से लाभ Advantages of Cinema in India

इससे फटाफट मनोरंजन मिलता है। मनोरंजन के अन्य साधनों जैसे किताब पढ़ना, खेलना, घूमना आदि में सिनेमा देखना सबसे सरल साधन है। एक अच्छी फिल्म देखकर हम अपनी मानसिक थकावट को दूर कर सकते हैं।

हमे नई नई जगहों के बारे में पता चलता है। जिन स्थानों पर हम नही जा पा पाते है सिनेमा की मदद से उनको घर बैठे देख सकते हैं।

यह जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। अब भारतीय सिनेमा वास्तविक घटनाओं को दिखा रहा है जैसे- माहवारी की समस्या पर बनी फिल्म “पैडमैन” जिसमे स्त्रियों की माहवारी से जुडी समस्याओं को प्रमुखता से दिखाया गया है। शौच के विषय पर “टॉयलेट” फिल्म बनी है जिसमे लोगो को बंद और पक्के टॉयलेट बनाकर शौच करने को प्रेरित किया गया है।

भारतीय संस्कृति और परम्परा को सिनेमा के माध्यम से दर्शाया जाता है। जैसे हाल में बनी “पद्मावत” फिल्म। इस तरह से हमे अपने देश के महान लोगो और स्वत्रंतता सेनानियों के बारे में पता चलता है।

सिनेमा के द्वारा सामाजिक बुराइयां जैसे दहेज़, रिश्वत, बाल विवाह, सती प्रथा, कुपोषण, भ्रष्टाचार, किसानो की दुर्दशा, जातिवाद, छुआछूत, बालमजदूरी आदि पर फिल्म बनाकर जनमानस को जागरूक किया जा सकता हैं।

महापुरुषों के जीवन पर फिल्म बनाकर लोगो को उन्ही के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

यह एक बड़ा उद्द्योग है जिसमे लाखो लोगो को रोजगार मिला हुआ है। इस तरह से सिनेमा रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाता है।

इसके द्वारा शिक्षा का प्रचार प्रसार आसानी से किया जा सकता है।

यह समय बिताने का एक अच्छा विकल्प है।

विभिन्न देशो की संस्कृतियों, धर्म और समाज के बारे में जानकारी मिलती है।

सिनेमा से होने वाली हानियाँ Disadvantages of Cinema in India

कई बार सिनेमा में धूम्रपान, शराब पीने जैसे दृश्य दिखाये जाते है जो बच्चों और युवाओं के कोमल मन पर बुरा असर डालते हैं। बच्चा हो या युवा देखकर ही सीखते है। इसी तरह से वे कई बुरी बातो को सीख जाते हैं।

आजकल फिल्म निर्माता अधिक से अधिक मनोरंजन परोसने के चक्कर में चोरी, लूटपाट, हत्या, हिंसा, कुकर्म, बलात्कार, दूसरे अपराधों को बहुत अधिक दिखाने लगे है। इसका भी बुरा असर समाज पर पड़ रहा है। आये दिन अखबारों में हम पढ़ते है कि चोरो से किसी फिल्म को देखकर चोरी की नई तरकीब विकसित की और चोरी या लूट को अंजाम दिया। इस तरह से सिनेमा का बुरा पहलू भी है।

आजकल के विद्यार्थी अपनी पढ़ाई सही तरह से नही करते हैं। उनको सिनेमा देखने की बुरी लत लगी हुई है। कई विद्यार्थी स्कूल जाने का बहाना बनाकर सिनेमा देखने चले जाते है। इस तरह से उनकी पढ़ाई का बहुत नुकसान होता है।

आजकल सिनेमा में कई तरह के अश्लील, कामुक उत्तेजक दृश्य दिखाये जाते है जिससे युवाओं का नैतिक पतन हो रहा है। देश के युवा भी व्यभिचार, पोर्न फिल्म, और दूसरी अनैतिक कार्यो में लिप्त हो गये है। आज छोटे-छोटे बच्चे भी सिनेमा के माध्यम से सम्भोग के विषय में जान जाते हैं। इसलिए कामुक सिनेमा का प्रदर्शन बंद होना चाहिए।

यह दर्शक को स्वप्न दिखाता है और उसे वास्तविकता से दूर ले जाता हैं। अक्सर लोग सिनेमा देखकर भटक जाते हैं। वो हीरो, नायक की तरह कपड़े पहनने की कोशिश करते है, उसी तरह से महंगे कपड़े पहनना चाहते है। ऊँची जिंदगी जीना चाहते है, कारों में घूमना चाहते है। पर वास्तविक जीवन में ये सब सम्भव नही हो पाता है।

आज देश की लड़कियों और स्त्रियों पर सिनेमा का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लड़कियाँ, औरते फैशन के नाम पर कम से कम कपड़े पहन रही है, अपने जिस्म की नुमाइश करती है जिससे आये दिन कोई न कोई अपराध होता है। सिनेमा की वजह से बदन दिखाऊ, जिस्म उघाड़ती पाश्चात्य सभ्यता देश के युवाओं पर हावी चुकी है।

किस तरह का सिनेमा का निर्माण होना चाहिये Which type of Cinema should be made?

जो बच्चो, युवाओं को अच्छी शिक्षा दे

समाजिक कुरीतियों व बुराइयों को दूर करे

शिक्षा का प्रसार करे

देश को अच्छी राह पर लेकर जाये

निष्कर्ष Conclusion

किसी भी चीज के 2 पहलू होते है। अगर सिनेमा का अच्छा पहलू है तो बुरा पहलू भी है। इसलिए फिल्म निर्माताओं को चाहिये की अच्छे सिनेमा का निर्माण करे। ऐसी फ़िल्मे न बनाये जिससे बच्चों, युवाओं का मानसिक, नैतिक और चरितत्रिक पतन हो।

देश के महान लोगो, नेताओ जैसे- स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, भगत सिंह, महाराणा प्रताप आदि के जीवन पर सिनेमा बनना चाहिए जिससे हमारी पीढ़ी उन महापुरुषों के बताये रास्ते पर चल सके। आपको हमारा लेख कैसा लगा, जरुर बतायें।

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