hindi ke vikas me doordarshan ka yogdan
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आकाशवाणी व दूरदर्शन पर उदघोषिका शीला मिश्रा ने कहा कि किसी भी देश की भाषा उसकी पहचान होती है। भाषा से ही सभ्यता व संस्कृति का विकास होता है। जिन देशों ने आर्थिक तरीकी की। उन्होंने भी अपनी राष्ट्रभाषा को नहीं छोड़ा। बदलते आधुनिक परिवेश में हिंदी को लोकप्रिय बनाने में आकाशवाणी व दूरदर्शन की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
वे एनएच तीन स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थी।
इसका आयोजन पत्रकारिता व हिंदी विभाग की ओर से किया गया था। इसकी अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ. सतीश आहूजा ने की। मिश्रा ने कहा कि मौजूदा समय में हिंदी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इसका सारा श्रेय नरेंद्र मोदी को जाता है। विदेशाें में जिस तरह से प्रधानमंत्री ने अपना भाषण हिंदी में देना शुरू किया। इससे न केवल भारतवंशी बल्कि विदेशी भी इस भाषा की तरह आकर्षित हुए हैं। हिंदी को लोकप्रिय बनाने में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शुभ तनेजा ने कहा कि अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन इसका गुलाम हो जाना ठीक नहीं है।
अंग्रेजी के शोर में हम सभी का इस भाषा ने मानसिक रूप से अगवा कर लिया है। किसी भी देश की समृद्धि उसकी भाषा से देखी जाती है। हिंदी में लिखने व पढ़ने वाले अपने अंदर हीनता पैदा न होने दें। हिंदी में असीम रोजगार की संभावनाएं है। यह आज विश्व की भाषा बन रही है। संस्कृत विभाग की डॉ. दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी भाषा में जो अपनापन है। वहां अंग्रेजी में नहीं मिल सकता। भाषा के आधार पर किसी का शोषण होना ठीक नहीं है। कला संकाय की अधिष्ठाता डॉ. सविता भगत ने कहा कि भाषा के साथ भावना जुड़ी होती है। हिंदी की कविताएं, कहानियां पढ़ने में जो अपनापन होता है।
वह अंग्रेजी में नहीं मिलता। इस अवसर पर हिंदी विभाग की डॉ. बबिता सिंह और पत्रकारिता विभाग की सोनिया हुड्डा उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने हिंदी से संबंधित प्रश्न पूछे। छात्रों ने बोलचाल में हिंदी में अधिक शब्दों के प्रयोग करने की शपथ भी ली।
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sryy I can't type hindi