History, asked by vinodoad, 10 months ago

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Answered by kumarv98966
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जन्माष्टमी पर निबंध

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

||आशा है कि यह आपकी मदद करेगा||

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