Hindi, asked by shivamsharma97213, 11 months ago

Hindi mai namkeen par vigyapan

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Answered by Suzuka222
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एफएमसीजी सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा सेक्टर है। यहां ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनियों का बोलबाला है, रॉ मटेरियल्स की उपलब्धता, सस्ता लेबर कॉस्ट जैसे कारणों से विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में आकर्षित हो रही थी, लेकिन अब माहौल कुछ बदल सा रहा है । पिछले कुछ सालों में घरेलू ब्रांड्स ने बाजार में अपनी पहचान बनाई है।

छोटी शुरूआत लेकिन लंबी उडान भरने के इरादे से कई कारोबारियों ने एफएमसी सेक्टर में खुद को साबित किया है। ऐसा ही एक ब्रांड है बालाजी नमकीन ,जो गुजरात की गलियों से निकलकर चर्चित नमकीन ब्रांड बना है।

चंदूभाई विरानी, गुजरात के एक सफल कारोबारी हैं जिनसे प्रेरणा लेकर नए आंत्रप्रनर की पीढ़ी ने जन्म लिया। बालाजी नमकीन के को-फाउंडर चंदूभाई विरानी और उनके दो भाईयों ने 1974 में एस्ट्रन सिनेमा, राजकोट से चिप्स और नमकीन बेचने से अपने काम की शुरूआत की। और इस कारोबार में अनुभव बटोरने के बाद विरानी भाईयों ने खुद का ब्रांड स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए।

विरानी परिवार के घर से ही कारोबार की शुरूआत हुई, कुछ दोस्तो रिश्तेदारों की मदद से चिप्स बनने की मशीन का इंतजाम हुआ और लगभग 20,000 रुपये के निवेश से छोटे पैमाने पर बिजनेस शुरू हुआ। चंदूभाई ने पहले दिन से ही क्वालिटी के मामले में कोई समझौता नहीं किया इसलिए देखते ही देखते बालाजी के टेस्टी नमकीन ग्राहकों की पसंद पर उतरने लगे। किफायती दाम में क्वालिटी प्रोडक्ट देने पर कंपनी ने हमेशा फोकस रखा।

छोटे बिजनेस को खड़ा करने में हर कारोबारी की सबसे बडी समस्या फंडिंग होती है, और विरानी परिवार के लिए भी सबसे बडी दिक्कत रही। लेकिन इससे निपटने के लिए कंपनी न समय समय पर छोटी रकम का लोन लिया और बालाजी धीमी लेकिन लगातार ग्रोथ कमा पाए हैं।

रिटेल मे मिल रही कामयाबी से कंपनी ने 1992 राजकोट के बाहरी इलाकों में 85,000 वर्गीटर एरिया में सेमीऑटोमैटिक प्लांट लगाया। यहां वेफर तलने के पुराने तरीके से हटकर नई टेक्नोलॉजी ने वेफर की क्वॉलिटी, टेस्ट और संख्या में काफी बदलाव आया।

90 के दशक में तगड़े मुकाबले के चलते छोटी छोटी लोकल एक्टीविटीज से कंपनीने अपने ब्रांड को मजबूती देने की कोशिश की। गुजरात के कोने कोने ने पहुंच बनाना उस वक्त कंपनी की प्रमुख वरीयता थी जिसके लिए एडवर्टाइजिंग पर खर्च किया गया। ट्रांसपोर्टस साइन बोर्ड्स जैसे पैतरे आजमां कर हर गुजराती के मुंह पर बालाजी का स्वाद चढ़ाने में कंपनी कामयाब हुई। फिलहाल कंपनी महाराष्ट्र और राजस्थान में भी अपनी पकड़ जमाए हुए है। इतने सालों के अनुभव को बाद भी चंदूभाई का मनना है कि बिजनेस की चमक और बढ़ाने के लिए उनहें डिस्ट्रीब्यूशन और बढ़िया प्रोडक्ट क्वालिटी पर और महनत करनी है।

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