hindi me paropkar p poem batao n pls.....
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नदी प्रारंभ करती है अपनी जीवन यात्रा |
दोनों ओर,जीने की आशा ,
और परोपकार का उद्देश्य रुपी तटों को साथ लेकर |
अनवरत चलती रहती है,
वगैर किसी स्वार्थ के ,सभी की प्यास बुझाते हुए |
बाधाएं आती है ,रास्ता रोकने के लिए ,
परन्तु असफल रहे किये गए सभी प्रयास उनके ,
और नदी पाती है आशातीत सफलता |
सभी रुकावटों को तोड़कर एकाकी वगैर किसी सहायता के
और जब अंत आया तो इसी आशा से कि शायद कम कर सके खारापन सागर का ,
अर्पण कर मीठा जल अपना , खो देती है अस्तित्व
विलीन होकर सागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानी प्रत्येक महापुरुष की
उपकार स्व - का नहीं पर का उपकार
परोपकार परोपकार परोपकार........
दोनों ओर,जीने की आशा ,
और परोपकार का उद्देश्य रुपी तटों को साथ लेकर |
अनवरत चलती रहती है,
वगैर किसी स्वार्थ के ,सभी की प्यास बुझाते हुए |
बाधाएं आती है ,रास्ता रोकने के लिए ,
परन्तु असफल रहे किये गए सभी प्रयास उनके ,
और नदी पाती है आशातीत सफलता |
सभी रुकावटों को तोड़कर एकाकी वगैर किसी सहायता के
और जब अंत आया तो इसी आशा से कि शायद कम कर सके खारापन सागर का ,
अर्पण कर मीठा जल अपना , खो देती है अस्तित्व
विलीन होकर सागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानी प्रत्येक महापुरुष की
उपकार स्व - का नहीं पर का उपकार
परोपकार परोपकार परोपकार........
neelimashorewala:
Its a poem, not prose....that's why the sentence formation has to be like this.
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