Hindi mein nibandh Paryavaran aur Pradushan
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This is your answer. प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)
प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है| किसी भी प्रकार का प्रदुषण हमारे प्राकृतिक वातावरण और इकोसिस्टम में अस्थिरता, स्वास्थ्य विकार और सामान्य जीवन में असुविधा उत्पन्न करता है| यह प्राकृतिक व्यवस्था को अव्यवस्थित कर देता है और प्रकृति के संतुलन को बिगड़ देता है|
प्रदूषक या प्रदुषण के तत्त्व मनुष्यों द्वाया उत्पन्न किया गया वाह्य पदार्थ या वेस्ट मटेरियल होता है जो की प्राकृतिक संसाधन जैसे की वायु, जल और भूमि आदि को प्रदूषित करते है| प्रदूषक का रासायनिक प्रकृति, सांद्रता और लम्बी आयु इकोसिस्टम को लगातार कई वर्षो से असंतुलित कर रहा है। प्रदूषक जहरीली गैस, कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ध्वनि, कार्बनिक मिश्रण, रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते है|
प्रदूषण पर निबंध 2 (150 शब्द)
प्रदूषण पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में कुछ हानिकारक या जहरीले पदार्थ का मिश्रण है। यह इस ग्रह पर रहने वाले जीवों की साधारण जीवन को प्रभावित करता है और प्राकृतिक जीवन चक्र को छति पहुँचाता है। वायु प्रदुषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों का रिलीज़, औद्योगिक कंपनियों का धुआं, फाइनली डिसॉल्वड सॉलिड्स और तरल एयरोसौल्ज़ इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती है।
इस प्रकार भू प्रदुषण और जल प्रदुषण भी विभिन्न कारणों से होता है जैसे की पीने के पानी में सीवेज के पानी (जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित) का मिश्रण, कुछ खतरनाक एग्रोकेमिकल्स जैसे की कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित कुछ रेडियोधर्मी पदार्थ, ठोस वेस्ट (औद्योगिक राख, कचरा, मलबा) इत्यादि| हमें इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए|
प्रदूषण पर निबंध 3 (200 शब्द)
प्रदुषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योकि यह हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए स्वास्थ्य का खतरा है। हाल के वर्षों में प्रदूषण की दर बहोत तेजी से बढ़ रही है क्योकि औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ सीधे मिट्टी, हवा और पानी में मिश्रित हो रहीं हैं। हालांकि हमारे देश में इसे नियंत्रित करने के लिए पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी बहोत ज्यादा भुगतेगी।
प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।
लगातार और अनावश्यक वनो की कटौती, शहरीकरण, औद्योगीकरण के माध्यम से ज्यादा उत्पादन, प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। इस तरह की गतिविधियों से उत्पन्न हुआ हानिकारक और विषैले कचरा, मिट्टी, हवा और पानी के लिए अपरिवर्तनीय परिवर्तन का कारण बनता है जोकि अंततः हमें दुःख की ओर अग्रसर करता है| यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।
प्रदूषण पर निबंध 4 (300 शब्द)
प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना। तदनुसार प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। वर्तमान में हम प्राणघातक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं। प्रदूषण, क़ुदरती प्राकृतिक पर्यावरण की तुलना में बहुत तेज दर से पर्यावरण में किसी भी वाह्य या जहरीले पदार्थ का मिश्रण होता है| इस शैतानीय सामाजिक समस्या के मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण, वनों की कटाई और शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उपोत्पाद जो की सामान्य जीवन की दिनचर्या के रूप इस्तेमाल की जाती है|
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भू प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदुषण के प्रकार है जो की मानव जाति के लिए प्रतच्छ स्वास्थ विकार है| हमारे पास पिने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, और फसल उगाने ने लिए प्रदुषण रहित भूमि नहीं है। भविष्य में इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए इस व्यापक रूप से फैल रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो की हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बिगड़ रहे हैं वे हैं गैस (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, कंक
प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है| किसी भी प्रकार का प्रदुषण हमारे प्राकृतिक वातावरण और इकोसिस्टम में अस्थिरता, स्वास्थ्य विकार और सामान्य जीवन में असुविधा उत्पन्न करता है| यह प्राकृतिक व्यवस्था को अव्यवस्थित कर देता है और प्रकृति के संतुलन को बिगड़ देता है|
प्रदूषक या प्रदुषण के तत्त्व मनुष्यों द्वाया उत्पन्न किया गया वाह्य पदार्थ या वेस्ट मटेरियल होता है जो की प्राकृतिक संसाधन जैसे की वायु, जल और भूमि आदि को प्रदूषित करते है| प्रदूषक का रासायनिक प्रकृति, सांद्रता और लम्बी आयु इकोसिस्टम को लगातार कई वर्षो से असंतुलित कर रहा है। प्रदूषक जहरीली गैस, कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ध्वनि, कार्बनिक मिश्रण, रेडियोधर्मी पदार्थ हो सकते है|
प्रदूषण पर निबंध 2 (150 शब्द)
प्रदूषण पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में कुछ हानिकारक या जहरीले पदार्थ का मिश्रण है। यह इस ग्रह पर रहने वाले जीवों की साधारण जीवन को प्रभावित करता है और प्राकृतिक जीवन चक्र को छति पहुँचाता है। वायु प्रदुषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों का रिलीज़, औद्योगिक कंपनियों का धुआं, फाइनली डिसॉल्वड सॉलिड्स और तरल एयरोसौल्ज़ इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती है।
इस प्रकार भू प्रदुषण और जल प्रदुषण भी विभिन्न कारणों से होता है जैसे की पीने के पानी में सीवेज के पानी (जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित) का मिश्रण, कुछ खतरनाक एग्रोकेमिकल्स जैसे की कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित कुछ रेडियोधर्मी पदार्थ, ठोस वेस्ट (औद्योगिक राख, कचरा, मलबा) इत्यादि| हमें इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए|
प्रदूषण पर निबंध 3 (200 शब्द)
प्रदुषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योकि यह हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए स्वास्थ्य का खतरा है। हाल के वर्षों में प्रदूषण की दर बहोत तेजी से बढ़ रही है क्योकि औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ सीधे मिट्टी, हवा और पानी में मिश्रित हो रहीं हैं। हालांकि हमारे देश में इसे नियंत्रित करने के लिए पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी बहोत ज्यादा भुगतेगी।
प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।
लगातार और अनावश्यक वनो की कटौती, शहरीकरण, औद्योगीकरण के माध्यम से ज्यादा उत्पादन, प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। इस तरह की गतिविधियों से उत्पन्न हुआ हानिकारक और विषैले कचरा, मिट्टी, हवा और पानी के लिए अपरिवर्तनीय परिवर्तन का कारण बनता है जोकि अंततः हमें दुःख की ओर अग्रसर करता है| यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।
प्रदूषण पर निबंध 4 (300 शब्द)
प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना। तदनुसार प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। वर्तमान में हम प्राणघातक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं। प्रदूषण, क़ुदरती प्राकृतिक पर्यावरण की तुलना में बहुत तेज दर से पर्यावरण में किसी भी वाह्य या जहरीले पदार्थ का मिश्रण होता है| इस शैतानीय सामाजिक समस्या के मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण, वनों की कटाई और शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उपोत्पाद जो की सामान्य जीवन की दिनचर्या के रूप इस्तेमाल की जाती है|
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भू प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदुषण के प्रकार है जो की मानव जाति के लिए प्रतच्छ स्वास्थ विकार है| हमारे पास पिने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, और फसल उगाने ने लिए प्रदुषण रहित भूमि नहीं है। भविष्य में इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए इस व्यापक रूप से फैल रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो की हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बिगड़ रहे हैं वे हैं गैस (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, कंक
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7 months ago