hindi moral short story for class 5
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एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।
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शेर और लोमड़ी
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प्रारम्भ में लोमड़ी ने शेर के बारे में सिर्फ सुना था लेकिन उसे कभी देखा नहीं था। घोडा ने उसे बताया, “शेर बहुत बड़ा और शक्तिशाली होता है।” जेबरा ने कहा, “वह हम पर हमला करके हमें मार कर खा जाता है।”
जिराफ ने कहा, “उसकी गर्दन तो ऐसी है कि हम सूखे पत्ते की तरह काँपने लग जाते हैं।” ये सब बातें सुनकर लोमड़ी बहुत डर गई। एक दिन लोमड़ी ने मुड़कर देखा तो सामने से शेर आ रहा था।
वह डर गई और खड़ी हो गई। शेर ने उसे सूंघा और हल्का सा गरजा, फिर वह चुपचाप चला गया। लोमड़ी ने तब कहीं जाकर राहत की साँस ली। दूसरे दिन वह नदी के दूसरे किनारे पर खड़ा था।
उसे देखते ही लोमड़ी फिर डर गई लेकिन इस बार उसका डर पहले से कुछ कम था। तीसरे दिन लोमडी अपने दोस्तों के साथ खेलते-खेलते शेर से टकरा गई। उसने थोड़ा-सा साहस इकट्ठा किया और थोड़ा झिझकते हुए कहा,
“मुझे माफ कर दीजिए, श्रीमान्।” शेर मुस्कुराकर बोला, “कोई बात नहीं।” जल्द ही लोमड़ी का डर गायब हो गया और अब वह उससे बिना डरे बात करने लगी।