Hindi name list of laboratory equipments in schools
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किसी भी रासायनिक प्रयोगशाला में ठोस, द्रव, या गैस अवस्था में अनेक प्रकार के पदार्थों के साथ प्रयोग करने पड़ते हैं तथा विभिन्न प्रयोगों के साथ विशेष प्रकार के उपकरणों को जुटाना पड़ता है। अत: उन साधारण उपकरणों को, जिनसे अन्य अनेक प्रकार के जटिल उपकरण तैयार कर प्रयोग किए जाते हैं, जान लेना नितांत आवश्यक है। रासायनिक उपकरणों (Chemical Apparatus) का चुनना इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्रिया किस ताप पर होगी और क्रियाशील पदार्थ संक्षारक (corrosive) तो नहीं होंगे।
रासायनिक क्रियाएँ ठोस, द्रव, या गैस अवस्थावाले पदार्थों के साथ हो सकती हैं। अत: विलयन, निस्यंदन, निष्कर्षण, अवक्षेपण, वाष्पीकरण, संघनन, शोषणश् आदि अनेक विधियों के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण, जैसे वीकर, परखनली, कीप, पंप, निस्यंदन फ्लास्क, जल ऊष्मक, वालू ऊष्मक, आंशिक आसवन स्तंभ, फ्लास्क शोषक स्तंभ, गैसजनित्र, धावन बोतल, काग, रबर तथ काँच की नली, तापमापी, मूषा, तोल बोतल, ब्यूरेट, पिपेट, अंशांकित फ्लास्क आदि, प्रयुक्त होते हैं।
किसी विशेष प्रकार का उपकरण तैयार करने के लिए विभिन्न उपकरणों को शीशे तथा रबर, या प्लास्टिक की नलियों की सहायता से जोड़ना पड़ता है। उनमें साधारण, या रबर के काग लगाने पड़ते हैं। उन कागों में छेद करने पड़ते हैं, काँच की नलियों को मोड़ना पड़ता है तथा उन्हें झुकाना, खींचना या किसी विशेष अभीष्ट रूप में बनाना आवश्यक होता है। आजकल घर्षित काँच के प्रामाणिक जोड़वाले उपकरण भी ऐसी नापों के मिलते हैं जो इस प्रकार जुट जाते हैं कि उनमें जल, या हवा का पूर्ण रोधन हो सके। अत: काग लगाने, या अन्य प्रकार से जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। प्रयोग करते समय जोड़ों का सिलीकोन ग्रीज़ से स्नेहन (lubrication) करना पड़ता है, जिससे वे पूर्णरूपेण वायुरोधी हो जाएँ।
रासायनिक क्रियाएँ ठोस, द्रव, या गैस अवस्थावाले पदार्थों के साथ हो सकती हैं। अत: विलयन, निस्यंदन, निष्कर्षण, अवक्षेपण, वाष्पीकरण, संघनन, शोषणश् आदि अनेक विधियों के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरण, जैसे वीकर, परखनली, कीप, पंप, निस्यंदन फ्लास्क, जल ऊष्मक, वालू ऊष्मक, आंशिक आसवन स्तंभ, फ्लास्क शोषक स्तंभ, गैसजनित्र, धावन बोतल, काग, रबर तथ काँच की नली, तापमापी, मूषा, तोल बोतल, ब्यूरेट, पिपेट, अंशांकित फ्लास्क आदि, प्रयुक्त होते हैं।
किसी विशेष प्रकार का उपकरण तैयार करने के लिए विभिन्न उपकरणों को शीशे तथा रबर, या प्लास्टिक की नलियों की सहायता से जोड़ना पड़ता है। उनमें साधारण, या रबर के काग लगाने पड़ते हैं। उन कागों में छेद करने पड़ते हैं, काँच की नलियों को मोड़ना पड़ता है तथा उन्हें झुकाना, खींचना या किसी विशेष अभीष्ट रूप में बनाना आवश्यक होता है। आजकल घर्षित काँच के प्रामाणिक जोड़वाले उपकरण भी ऐसी नापों के मिलते हैं जो इस प्रकार जुट जाते हैं कि उनमें जल, या हवा का पूर्ण रोधन हो सके। अत: काग लगाने, या अन्य प्रकार से जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। प्रयोग करते समय जोड़ों का सिलीकोन ग्रीज़ से स्नेहन (lubrication) करना पड़ता है, जिससे वे पूर्णरूपेण वायुरोधी हो जाएँ।
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