Hindi, asked by RitikThakur11, 1 year ago

Hindi nibandh Hamari bhasha

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Answered by Anonymous
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Answered by NaVila11
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Hey frnd here is ur answer :-
प्रस्तावना – राष्ट्रभाषा से आशय उस भाषा से है जो किसी भी देश में सर्वाधिक बोली, समझी व लिखी जाती है। विश्व के प्रत्येक देश में अनेक जातियों, धर्मों व भाषाओं के बोलने वाले लोग निवास करते हैं। हर देश की राष्ट्रीय एकता को मजबूत एवं विकसित करने के लिए एक ऐसी भाषा का प्रयोग किया जाता है, जिसे राष्ट्र के नागरिक सरलता से समझ सकें। इस प्रकार की भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। साधारण शब्दों में राष्टभाषा को जनता की भाषा भी कहा जाता है |
सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा – हमारे देश भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है। हिंदी भाषा भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में बोली जाती है | यह बहुत सरल तथा सुबोध है | इस भाषा का प्रयोग भारत के बहुसंख्यक नागरिकों द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रभाषा का उद्गम – प्राचीन काल में भारत की राष्ट्रभाषा संस्कृत थी, लेकिन धीरे-धीरे अन्य प्रांतीय भाषाओं की उन्नति के कारण संस्कृत ने अपनी पूर्व स्थिति को खो दिया। मुगलकाल में उर्दू भाषा के विकास पर जोर दिया गया। अंग्रेजों के शासन काल में अंग्रेजी देश की भाषा बनी। अंग्रेजी हुकूमत समाप्त होने के बाद हिन्दी को हमारी राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया |
आधुनिक समस्या – हिन्दी संसार की सबसे अधिक सरल, सुकोमल, मधुर एवं वैज्ञानिक भाषा है, फिर भी आधुनिक युग में हिन्दी का विरोध जारी है। क्योंकि आज लोगों में अंग्रेजी बोलने का ज्यादा प्रचलन है। अधिकांशतः व्यक्ति हिन्दी छोड़कर अंग्रेजी सीखने का प्रयत्न करते हैं परन्तु वे ये नहीं जानते कि जो भापा हमारे देश में अधिक बोली जाती है जो हमारे देश के लिए वहुत महत्व रखती है।
हिन्दी बोलने में शर्म कसी – भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हिन्दी भापा की आत्मा को पंहचानकर ही उसका समर्थन करते हुए कहा था-“मैं हमेशा यह मानता रहा हूं कि हमें किसी भी दशा में दूसरी भाषाओं को समाप्त करने का कोई अधिकार ‘ का ही प्रयोग करना चाहिये। कुछ व्यक्ति हिन्दी के मामले में हीन भावना के शिकार रहते हैं। उनका भ्रम है कि यदि उन्होंने हिन्दी भाषा का प्रयोग किया तो उनका प्रभाव कम हो जायेगा। दक्षिण । भारत की राज्य रुकावटें भी हिन्दी का विरोध करती आज नजर आती हैं। वास्तव में हिन्दी को राजनीति के कारण पीछे धकेला जा रहा है। यदि सरकार व नेता दृढ़ता के साथ काम लें तो हमारे देश में हिन्दी भाषा का विकास वढ़ेगा और देश के प्रत्येक नागरिक साधारण बोलचाल, लिखा-पढ़ी तथा अन्य सभी दशाओं में हिन्दी का प्रयोग करेंगे। इस सम्बन्ध में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के इस विचार को सदा ध्यान रखना चाहिये, जो उन्होंने इसके बारे में लिखा है –



निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिट न हिय के शूल।

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NaVila11: plz mark as brainliest
NaVila11: plz mark as brainliest plz plz plz
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