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puskatayalaya
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पुस्तकालय हमारे जीवन का अभिन्न अंग होते है क्योंकि पुस्तकालय में हम शांतिपूर्वक विभिन्न ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर ज्ञान का अर्जन कर सकते है जो कि हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है और हमें सोचने समझने की शक्ति भी प्रदान करता है.
पुस्तकालय की भूमिका मानव जीवन में प्राचीन काल से ही रही है क्योंकि प्राचीन काल में प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण हस्तलिखित किताबे ही होती हो थी जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक होता था और किताबें भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई |
पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबें पढ़ने का इच्छुक होता था वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबें पढ़ सकता था इससे गरीब वर्ग के लोगों को अधिक फायदा हुआ क्योंकि वे लोग अधिक मूल्य की किताबें पढ़ नहीं सकते थे.
एक पुस्तकालय में लगभग सभी प्रकार की पुस्तके जैसे कला, धर्म, जाति, राजनीतिक, विज्ञान, कृषि, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुस्तके मिल जाती है जिनकी सहायता से सभी लोग अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है कुछ बड़े पुस्तकालयों में अलग-अलग भाषा और प्रांत की पुस्तकें भी उपलब्ध होती है |
वर्तमान में पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है जैसे विद्यालय के पुस्तकालय जहां पर छात्र-छात्राएं और शिक्षक जाकर किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ सकते है दूसरे पुस्तकालय विश्वविद्यालयों के होते है जहां पर वहां के विद्यार्थी जाकर पढ़ सकते है.
कुछ पुस्तकालय ट्रस्ट द्वारा भी संचालित किए जाते है जिनका मूल उद्देश्य गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना होता है क्योंकि गरीब विद्यार्थी के पास मूल्यवान उसको को खरीदने के लिए धन नहीं होता है. इन पुस्तकालयों में महीने की न्यूनतम फीस रखी जाती है.
चौथे नंबर पर सार्वजनिक पुस्तकालय आते है जो कि सरकार द्वारा चलाए जाते है जिसमें सभी लेखकों और कवियों की प्रमुख किताबें होती है साथी देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाएं में होती है जिन्हें कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर पढ़ सकता है |