Hindi, asked by savitanaik123, 1 year ago

hindi nibhandh on "barsat ka ek din"

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Answered by Anonymous
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कई बार खराब निर्णय भी जीवन में बेहद अहम सबक सिखाते हैं और हमें नया अनुभव प्रदान करते हैं।कई बार हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी परिस्थितियों में उलझ जाते हैं, जहां हम तय नहीं कर पाते कि हमें क्या करना चाहिए। हमारे मन में तरह-तरह के विचार घुमड़ने लगते हैं। कई बार ये विचार किसी निष्कर्ष पर पहुंचने, अपने दिल में छिपे असुरक्षाबोध, अंतर्प्रेरणाओं को जाहिर करने,निष्पक्ष फैसला करने या फिर बहुमत के खिलाफ अपनी निजी राय के पक्ष में आवाज उठाने का साहस जुटाने को लेकर हमारे मन में चलते रहे हैं। लेकिन एक बार हम जब फैसला कर लेते हैं, तो उसके नतीजे हमारी चाहतके अनुरूप हो भी सकते हैं और नहीं भी, लेकिन यह जरूर है कि इससे हमें तनाव से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है।वास्तव में ऐसे वैचारिक-परिदृश्य तो उस अहम कार्य की महज एक झलक हैं, जो 'निर्णयशीलता" के अंतर्गत आता है। इसे हम श्याम नामक एक लकड़हारे की कहानी के जरिए समझते हैं कि किस तरह निर्णयशीलता तमाम गतिविधियों की लय तैयार करती है और कैसे इससे अलग-अलग तरह के नतीजे मिल सकते हैं। श्याम अक्सर बेहतरीन लकड़ियां काटकर इकठ्ठा करने के चक्कर में जंगल में काफी अंदर तक चला जाया करता था। इससे उसे बाजार में लकड़ियों को ऊंचे दाम में बेचने में मदद मिलती और उसके कठिन श्रम की वजह से उसकी अच्छी आमदनी भी हो जाती। वह अक्सर अपनी कुल्हाड़ी और एक चादर लेकर ही अपने इस काम पर निकल जाता। जंगल में भारी मात्रा में लकड़ियां काटकर इकठ्ठा करने के बाद जब वह थक जाता, तो थोड़ी देर वहीं पर चादर बिछाकर लेटते हुए सुस्ता लिया करता था।एक दिन जब वह घासभरे मैदान पर आराम करने के लिए अपनी चादर फैला ही रहा था, तभी उसे जोरदार बिजली कड़कने की आवाज सुनाई दी। उसने देखा कि बादलों की वजह से आसमान का रंग भी धूसर हो चला है। बार-बार बिजली चमकने के साथ तेज ठंडी हवा भी चल रही थी। ऐसेमें श्याम को पूरा अंदेशा था कि जल्द ही वहां जोरदार बारिश हो सकती है।हालांकि तकरीबन आधे दिन तक लगातार लकड़ियां काटने की वजह से पूरी तरह थक चुका था। वह जानता था कि यदिउसे सूखी और मजबूत लकड़ियों का गठ्ठर चाहिए तो इसकाएक ही रास्ता है कि वह तेजी से घर की ओर भागे और लकड़ियों को बारिश के पानी से बचाए।तभी उसे अपना एक पिछला अनुभ्ाव याद आया, जहां पर सूरज के साथ बादलों की लुकाछिपी का खेल चलता रहा था और आखिरकार बारिश नहीं हुई और मौसम सूखा ही रहा था। कुछ ऐसी ही स्थिति का पूर्वानुमान लगाते हुए श्याम ने आसमान में मौसम के बदलते मिजाज को नजरअंदाज करने का फैसला किया और वह कुछ समय के लिए वहां एक छायादार वृक्ष के नीचे सुस्ताने के लिए लेट गया। लेकिन थकान की वजह वह जल्द ही गहरी नींद के आगोश में चला गया।तेज बारिश की वजह से जब उसकी नींद खुली तो उसे अपनीमेहनत पर पानी फिरता नजर आया, क्योंकि लकड़ियों के गठ्ठर जल्द ही पानी में भीगकर इतने भारी हो चुके थे कि उन्हें उठाकर घर तक ले जाना बहुत मुश्किल था। अब श्याम को अफसोस होने लगा कि वह अपने फैसले से जुड़े खतरे का सही आकलन नहीं कर पाया।श्याम भले ही एक अच्छा निर्णय लेने में नाकाम रहा हो, पर अगली बार वह जब भी जंगल में ऐसे किसी काम के लिए जाएगा तो वह बेहतर संसाधनों से लैस होगा ताकि वह अपने लकड़ियों के गठ्ठर को बचा सके। साथ ही वह अबमौसम के बदलते मिजाज के प्रति भी ज्यादा सजग निगाहरखेगा।हमारे निर्णय अच्छे या खराब हो सकते हैं, लेकिन निर्णय लेने से बचना या अनिर्णय की स्थिति में फंसे रहना निश्चित तौर पर जीवन के प्रति सही नजरिया नहीं है। कई बार खराब निर्णय भी जीवन में बेहद अहम सबक सिखाते हैं और हमें नया अनुभव प्रदानकरते हैं।
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