Hindi, asked by laxmikanthindiwriter, 7 months ago

hindi one world 098
शांत रहो तो सबसे बेहतर मौन रहो तो आभारी है ।
सत्ता की कविता उनसे केवल इतनी रिश्तेदारी है
सारी दुविधा परिषद पर है । सच कितना बोला जाए
गूंगे सिखा रहे हैं हमको मुंह कितना खोला जाए।
देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली हिंदी भाषा का हाल बेहाल है। यहां ऐसे नियम-कानून बनाए गए हैं कि हिंदी अपनों में ही पराई हो गई है। यहां गाड़ियों में हिंदी में नंबर प्लेट लगाना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर चालान भी होता है।
स्टार बॉलीवुड में हिंदी में डायलॉग बोलते हैं। निर्माता और निदेशक हिंदी में फिल्में बनाते हैं। हिंदी बोलने और समझने वाले दर्शक फिल्में देखते हैं। इसके बाद जब फिल्म फेयर अवार्ड होता है। स्टेज पर अवार्ड लेने जाते हैं, अंग्रेजी बोलते हैं। यह परंपरा बदलनी चाहिए।

हिंदी दिवस के आमंत्रण मिलते हैं इंग्लिश में


स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान ने आज के दिन ही हिंदी को अपनी राज्यभाषा माना। हिंदी हमारी मां है। अगर कोई बच्चा अपनी मां को मां मानने से इंकार कर दे तो हम कहते हैं तमीज से बात करो, यह मां है। आज हम हिंदी को छोड़ दूसरी भाषाओं को अपना रहे हैं। अब लगता है हर साल मनाए जाने वाले हिंदी दिवस का उद्देश्य यह जानना रह गया है कि हिंदी अभी जिंदा है या खत्म हो गई, मेरे लिए 365 दिन हिंदी दिवस है। अपनी मातृ भाषा को बोलने में शर्म नहीं आनी चाहिए।
सिर्फ हिंदी दिवस मनाकर यह देखते हैं कि वह अभी जिंदा है या खत्म हो गई
कार्यक्रम की शुरुआत में स्टूडेंट्स ने कविता और नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति से की। सबसे पहले स्टूडेंट्स ने समूह गान 'इतनी शक्ति हमें दे ना दाता...' की शानदार प्रस्तुत किया। इसके बाद भैरवी अग्रवाल ने 'हिंदी तो मां है हर हाल में खुश रहती है...' 
अंग्रेजों का असर : अंग्रेजों ने हम पर दो सौ साल राज किया और मालिक की जुबान सब को अच्छी लगती है। आपके कई रिश्तेदार विदेश में रहते हैं और वहां से आने के बाद हां को या बोलता हैं। स्वंय को सौभाग्यशाली मानिए कि आप दुनिया के सबसे अच्छे देश में पैदा हुए हैं। हिंदी हमारी मां है और बुंदेली हमारी मांसी (मौसी)।




देश में प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। आयोजक हिंदी की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जब उनके आमंत्रण पत्र मेरे पास पहुंचते हैं, तो वह इंग्लिश मे

ग्वालियर।  देश में प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। आयोजक हिंदी की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जब उनके आमंत्रण पत्र मेरे पास पहुंचते हैं, तो वह इंग्लिश में होते हैं। यह देखकर मुझे बहुत दुख होता है। इस बात को मैं मंच पर भी सभी के साथ शेयर करता हूं, ताकि दोबारा यह गलती कोई न करे। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी बोलचाल की भाषा, लेखन में हिंदी को शामिल करें।

यह बात देश-विदेश में अपनी कविता के दम पर पहचान बनाने वाले कवि कुमार विश्वास ने लिटिल एंजिल्स स्कूल में हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स एवं पैरेंट्स से इंटरेक्शन भी किया। बढ़ते हुए कार्यक्रम में उन्होंने अपनी फेमस कविता से माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया। जिसके बोल थे कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है...। यह चंद लाइने सुन तालियों की करतल ध्वनि से पूरा हॉल गूंज उठा। एक के बाद एक कविताओं ने उपस्थित लोगों के दिलों तक दस्तक दी।

हिंदी दिवस के आमंत्रण मिलते हैं इंग्लिश में
स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान ने आज के दिन ही हिंदी को अपनी राज्यभाषा माना। हिंदी हमारी मां है। अगर कोई बच्चा अपनी मां को मां मानने से इंकार कर दे तो हम कहते हैं तमीज से बात करो, यह मां है। आज हम हिंदी को छोड़ दूसरी भाषाओं को अपना रहे हैं। अब लगता है हर साल मनाए जाने वाले हिंदी दिवस का उद्देश्य यह जानना रह गया है कि हिंदी अभी जिंदा है या खत्म हो गई, मेरे लिए 365 दिन हिंदी दिवस है। अपनी मातृ भाषा को बोलने में शर्म नहीं आनी चाहिए।

 

सिर्फ हिंदी दिवस मनाकर यह देखते हैं कि वह अभी जिंदा है या खत्म हो गई
कार्यक्रम की शुरुआत में स्टूडेंट्स ने कविता और नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति से की। सबसे पहले स्टूडेंट्स ने समूह गान 'इतनी शक्ति हमें दे ना दाता...' की शानदार प्रस्तुत किया। इसके बाद भैरवी अग्रवाल ने 'हिंदी तो मां है हर हाल में खुश रहती है...' कविता सुनाकर सबका दिल जीत लिया। इसके बाद नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई, जिसमें दिखाया गया कि कैसे इंसान पवित्र नदियों को दूषित कर रहा है। प्लास्टिक, फैक्ट्री से निकलने वाला गंदा पानी गंगा और यमुना को दूषित कर रही हैं। अगर हम आज नहीं सुधरे तो वह दिन दूर नहीं होगा जब हम बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे। इस दौरान कुमार विश्वास ने अपनी कुछ कविताएं भी सुनाई।
अंग्रेजों का असर : अंग्रेजों ने हम पर दो सौ साल राज किया और मालिक की जुबान सब को अच्छी लगती है। आपके कई रिश्तेदार विदेश में रहते हैं और वहां से आने के बाद हां को या बोलता हैं। स्वंय को सौभाग्यशाली मानिए कि आप दुनिया के सबसे अच्छे देश में पैदा हुए हैं। हिंदी हमारी मां है और बुंदेली हमारी मांसी (मौसी)।



आपके अंदर अगर आग है, प्रतिभा है तो तमाम बाधाओं के बाद भी आप चांद तक पहुंच सकते हैं। जीवन के अंधेरे वक्त में भी कविता आपको ताकत देती है। उन्होंने बच्चों से कहा, हमें भाषा मिली है आत्मा के आनन्द के लिए, जो आनंद मौसी शब्द में है वह आंटी में नहीं

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Answered by anmolmaurya122
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sorry I didn't understood your question...................................

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