hindi poem abinav manushy a saramshअभिनव मनुष्य हिंदी गीत का सारांश
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पर, न यह परिचय मनुज का, यह न उसका श्रेय। यह पंक्तियाँ दिनकर जी की कविता 'अभिनव मनुष्य' से ली गयी हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी कहते हैं कि, यह जो आधुनिक मनुष्य है वह पूरी सृष्टि का श्रृंगार है। इस के भीतर ज्ञान तथा विज्ञान का प्रकाश भरा पड़ा है
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