Hindi, asked by ashishroy68, 1 year ago

Hindi poem by atal bihari vajpayee ek bars beet gaya

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Answered by pssh95
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Answer:hope it helps

Explanation:एक बरस बीत गया

झुलासाता जेठ मास

शरद चांदनी उदास

सिसकी भरते सावन का

अंतर्घट रीत गया

एक बरस बीत गया

सीकचों मे सिमटा जग

किंतु विकल प्राण विहग

धरती से अम्बर तक

गूंज मुक्ति गीत गया

एक बरस बीत गया

पथ निहारते नयन

गिनते दिन पल छिन

लौट कभी आएगा

मन का जो मीत गया

एक बरस बीत गया

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