hindi poem on harela
mote then 10 lines in hindi
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हरेली निराली झूमत-नाचत आय हरियाली लाए संग म ये खुशहाली, आए हे गेड़ी म चढ़के दिखे देवी-देवता मन सरग के। धरे ठेठरी, खुरमी भरे थाली। झम-झम फूल बरसाए बादल संभर गे जम्मो मोटियारी, मुसकुरावय गरीब किसान नागर बैला के करत सम्मान रंधनी ले मुसकावय घरवाली। सब डाहर खुशी मस्ती छागे नदिया, नरवा घलो बौरागे कूके लगिस कोयलिया कारी। मन के बात मन म झन राखव दया-मया बांटव खुशी ल बांटव रोज बन जाही हरेली निराली। आय हे हरेली आय हे हरेली, सुनव संगी अऊ नँघरिया जाबो अमरईया गाबो ददरिया, चलव चलव जँहूरिया। गेंड़ी मा चड़बो रस्ता गड़बो, आनी बानी पेड़ लगाबो, खो-खो खेलबो झुलना झुलबो, पूरखा के रीत बचाबो आगे हे बेरा नईहे अगोरा मेहनत करबो हलधरिया जाबो अमरईया बड़े भिनसरहा धनहा डोली मा, गुड़हा चिला गड़ाबो, नागर बिंधना टंगिया ला धोके ठाकुर देव ला मनाबो, सुमर सुमरनी देवी देवता के झूमर बरसाही बदरिया जाबो अमरईया रिमझिम रिमझिम बरसे पानी नदिया सुग्घर बोहागे, उमगे देखव डबरा ढोंड़गा कुंवा घलो हा भरागे, छलकत
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आओ आओ गा किसान आओ गा बनिहार। जुरमिल के मनाबो संगी हरेली तिहार। कूद-कूद के मानेन अब तक होरी देवारी एको कनिक करिस नइ हिनहर के चि न्हारी चेतो अब छोड़ो जी पहिली के व्य वहार। तेल डार के दीया बारेन हमरे तेल निकालिस पीरा ल हरे के बल्दा ऐक्ल्हस हे निखालिस मांगेन जगमग उजियार उल्टा बांटिस अंधियार। होले ल जलाये बर जलायेन जम्मों डोंगरी अब काला जलान भागगे जांघ असन मोंगरी नैया ल डूबोये हन हमी डंडवार। हार नइ मानन कभू हरिय र मन हे हरिय र हरिय र भुइयां हवय हरिय र पटवा सन हे हरिय र कोदो धान त काबर होही हाहाकार। हरेली तिहार आय किसान मन के भारी खैरकाडांड़ मं जाथे सब झन धरके थारी गाय गरू ल लोंदी देके करथे नमस्कार। दसमुन अउ डोंडों कांदा राउत डोंगरी ले लाथे हाड़ी मं उसन के पानी गरूवा ल पीयाथे कांदा कुसा देखके मुंह ले गिरे ल धरथे लार
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