Hindi, asked by brainlyqw, 1 year ago

hindi poem panchi please

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Answered by Chaudhary47
3
\textbf{UR ANSWER}


हम पंछी हैं नील गगन के

हमको तुम अब उड़ने दो

खुले आकाश में पतंगों जैसे

ऊंचाइयों को तुम छूने दो

हमको पिंजरों में न पकड़ो

हमारे पंखों को मत जकड़ो

हमको भी जीने दो कुछ जीवन

जिसमें हो कुछ भीगा सावन

हमको रहने दो तुम आज़ाद

बस इतनी सी हैं फरियाद

___________________________

Second poem


हवाओ में पंख फैलाए
नीले नभ से तय करते हैं
जो अपनी दिशाएँ
हाँ पंछी हैं वो!!
चँचलता जिनकी नजरों से छलके
इस पल यहाँ तो अगले पल
वहाँ जो चहके
हाँ पंछी हैं वो!!
सुबह सूरज के किरणों के धरती को
छुने से पहले जो जग जाएँ
हाँ पंछी हैं वो!!
दायरो में जो नहीं बँधते
पिंजरो में जो नहीं रहते
अपनी सीमा जो स्वयं
तय हैं करते
हाँ पंछी हैं वो!!
लक्ष्य जिनका अटल है रहता
सारा जग जिन्हे अपना है लगता
कहीं कोई फर्क नहीं है दिखता
हाँ पंछी हैं वो!!
सीमाएँ जिनके लिए नहीं बनी
जिन्हे कहीं आने-जाने के लिए
कोई वीजा नहीं लगता
हाँ पंछी हैं वो!!
चहचहाहट से जिनके संगीत सा
कानो में है बजता
फिजा सुरमई सी है लगती
हाँ पंछी हैं वो!!
धरा-गगन दोनो से है
इनका गहरा नाता उँचाई पर
ही अपना आशियाना इन्हे लुभाता
हाँ पंछी हैं वो!!
मौसमों से छेडखानी करते
तिनके चुन-चुन अपना घोंसला संजोते
दिशाएँ घूम-घूम दाने चुनते
हैं जो दिखते
हाँ पंछी हैं वो!!
हर रोज जैसे कोई नया अभियान हो
सुबह पूरा करने जो निकलते
शाम ढलने पर ही अपने घोसलों पर लौटते
हाँ पंछी हैं वो!!
प्यारे-प्यारे रंग-रूपों से सजे
जिनकी शोभा उनके पंखों से ही बढे़
हाँ पंछी हैं वो!!
उम्मीद और हौसले की
पहचान हैं जो
हाँ पंछी हैं वो!!!!!


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