Hindi poem recitation on "VEERTA"
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Explanation:
जब कहर ढहाया गैरों ने।
हंस कर चूमा था फंदों को,
देशभक्त उन वीरों ने।
लगता था शत्रु घबराने,
जब आते थे वे परवाने।
पलकर भारत की गोद में,
वह कहलाते थे दीवाने।
थे दीवाने शत्रु की,
मौत के वो परवाने।
तोड़ दुश्मन की तलवार को,
बना गए वो अद्भुत फसाने।
भारत माता की गोद को,
था लगा उजाड़ने दुश्मन।
तब खिला था भारत में,
शेखर जैसा सुमन।
जब भारत की भूमि पर,
कोहराम मचाया दुश्मन ने।
सोए हो तुम सारे,
यह ऐलान किया था भगत ने।
वह वीर सपूत भारत का,
आज़ाद ज़िंदाबाद है।
कांपते थे दुश्मन,
वह सावरकर जिंदाबाद है।
जब-जब भारत की भूमि पर,
दुश्मन ने की मनमानी है।
खदेड़ फेंका भारत से,
यह गाथा बड़ी पुरानी है।
हम भारत के लोग हैं,
भारत हमारी शान है।
मर सकते हैं मिट सकते हैं,
तिरंगा हमारी शान है।
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