Hindi poet mahesh chandra Tripathi ji ka jivani
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इस मतलबी दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित है। ऐसे लोग खुद को कभी सामने नहीं लाना चाहते, बस चुपचाप अपना काम करते रहते हैं। आज हम आपको कानपुर शहर की एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका पूरा दिन बेजुबानों और इंसानों की सेवा में निकल जाता है। इनका नाम है महेश चंद्र त्रिपाठी। पेशे से महेश एक उद्यमी हैं और सेना के लिए उत्पादों की सप्लाई करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि सेना के पैराशूट, हैलीकॉप्टर और एम्युनिशन बॉक्स के हैंडल और मजबूत रस्सियां समेत तमाम तरह के मजबूत प्रोडक्ट कानपुर में बनते हैं। शहर का सूती धागा और कपड़ा आयुध कारखानों में हथियारों की सुरक्षा के काम में भी आता है। कानपुर की एशिया टेक्सटाइल कोलकाता, पुणे, मुंबई, जबलपुर, नीलगिरी, खमरिया और भूसावल की ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों को कई वर्षों से अपने प्रोडक्ट सप्लाई करती आ रही है। इस टेक्सटाइल कंपनी को चलाने वाले महेश चंद्र त्रिपाठी का पूरा जीवन ‘सेना के लिए काम और समाज के लिए दान’ को समर्पित हैं।1972 में एशिया टेक्सटाइल के नाम से कंपनी शुरू कर दी
साल 1965 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद कानपुर के महेश चंद्र त्रिपाठी ने इंटरनेशनल प्रोडक्ट्स कंपनी में बतौर सप्लाई अधिकारी अपनी पहली और आखिरी नौकरी की शुरुआत की। डिफेंस के लिए आइटम बनाने वाली कंपनी के साथ काम करते हुए महेश ने कई अनुभव प्राप्त किए और ठीक 7 साल बाद 1972 में एशिया टेक्सटाइल के नाम से चमनगंज में खुद की कंपनी शुरू कर दी। कानपुर की एशिया टेक्सटाइल कंपनी तमाम आयुध निर्माणी संस्थानों को बमों की पैकिंग वाले टेप मीडियम प्रूफ, गोला बारूद लोड करने वाले वेविन कॉटन बैंड, एम्युनिशन बॉक्स के हैंडल जैसे प्रोडक्ट सप्लाई कर रही है। महेश चंद्र त्रिपाठी के परिवार में पत्नी सरला त्रिपाठी और वह खुद हैं। नि:सांतान दंपति ने समाज सेवा को अपना धर्म बना लिया। कई गरीब बेटियों की शादियां कराईं, मंदिरों का निर्माण कराया और गौशाला व वृद्धाश्रम खोले।