Hindi story containing at least 10 idioms
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Use these to make story and please mark brainliest please plzzzzz
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suryanshmishra:
please mark brainliest please it plzzzzz
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Hlo frndz...
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♧♧ हार न मानना (आर्य)♧♧
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कहते हैं कि हार न मानने वाले लोग कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इनके बारे में बहुत सारी कहानियाँ लिखी हुई हैं। ऐसी ही एक कहानी है-इराक में रहने वाले अब्दुल्ला की। अब्दुल्ला एक पंद्रह साल का लड़का था। वह एक गरीब परिवार का था और उसके लिए सब कुछ काला अक्षर भैंस बराबर था क्योंकि वह पढ़ा-लिखा नहीं था। लेकिन वह बहुत मेहनती और ताकतवर था। उसके लिए तो तीस किलोग्राम उठाना बाएँ हाथ का खेल था।
एक दिन जब अबदुल्ला अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसने दो हवाई जहाज देखे। उसे पता था कि ये हवाई जहाज गाँव पर बम्ब फेंकेगे। यह सोचकर उसका कलेजा दहेलने लगा। उसने अपने दोस्तों को बताया कि दो हवाई जहाज आ रहे हैं और वे सब छुप गए। उनको पता था कैसे बम्ब से अपनी रक्षा करनी थी। रास्ते में उन्होंने जिसको भी देखा वे उनसे कहने लगे कि दो हवाई जहाज आ रहे हैं। यह सुनकर सभी का रक्त सूख गया।
तभी हवाई जहाजों को थोड़ा नीचे आते देखकर मानो अब्दुल्ला की आँखें खुलीं | उसे याद आया कि क्या होने वाला था। उसे याद आया कि वह कैसे भागकर छुप गया और उसने कैसे अपने गाँव के बहुत से लोगों की मृत्यु अपनी आँखों के सामने होती देखी। वह फूट-फूट कर रोने लगा। फिर उसने कुछ आवाज़ें सुनीं, वह फिर से छुप गया। आवाज़ें सुन कर उसे लगा कि वह लोग उर्दू भाषा में नहीं, अंग्रेज़ी भाषा में बोल रहे थे। अब्दुल्ला ने सोचा कि यही वे लोग होंगे जिन्होंने गाँव पर बम्ब फेंके। उसे बहुत क्रोध आया। लेकिन वह लहू का घूँट पीकर रह गया। उसे पता था कि उसे यहाँ से भागना था, पर कैसे? उसके लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई थी।
अगली रात किसी तरह से बाल-बाल बचकर वह गाँव से बाहर चला गया। लेकिन अब वह कहाँ जाए? उसके पेट में चूहे कूद रहे थे। उसने कुछ खाने की सोची। परन्तु खाना तो कहीं नहीं था। वह सड़क से नहीं जा सकता था क्योंकि वहाँ तो सेना के लोग खड़े होंगे। उसे तो जंगल से जाना था। किसी भी तरह से उसे शहर पहुँचना था। पर यह तो बहुत मुश्किल लग रहा था।
जंगल में उसने किसी तरह से एक दिन बिताया। अब वह बहुत थक चुका था और हथियार डाल देने के लिए तैयार था पर फिर उसे एक बात याद आई। अपनी माँ की कहानियाँ जिनमें हार न मानने वाले लोग बहुत कुछ करते हैं। उसने सोचा कि अगर वह अब हार मान गया तो वह अपनी माता से कुछ नहीं सीखा, उसके सिर पर भूत सवार हो गया कि किसी भी तरह उसे शहर पहुँचना है।
वह चलता रहा और चलता ही रहा। एक दिन जब अब्दुल्ला ने कुछ सुना तो उसके कान खड़े हो गए। गाड़ी की आवाज़ आ रही थी, उसने भागकर देखा तो वहाँ एक शहर था। अब्दुल्ला फूला न समाया। शहर में उसे एक दम्पत्ति मिला। उन्होंने उसे खाना दिया और उसने उन्हें अपनी कहानी सुनाई। वे उसकी कहानी सुन चौंक गए। उन्होंने इस कहानी पर एक किताब लिख दी। लोगों ने जब अब्दुल्ला से प्रश्न पूछे तो उसने उनके प्रश्नों का मुँह तोड़ जवाब दिया। वह पुस्तक एक बेस्ट सैलर हो गयी और अमरीका में लोगों ने इस किताब को पढ़ा और वे इस किताब का विरोध करने लगे कि इराक में युद्ध न किया जाए।
एक अनपढ़ बच्चे ने हार न मानी और इससे इराक का कितना अच्छा हुआ! इसलिए कहते हैं कि हार न मानने से हम कुछ भी कर सकते हैं।
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♧♧ हार न मानना (आर्य)♧♧
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कहते हैं कि हार न मानने वाले लोग कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इनके बारे में बहुत सारी कहानियाँ लिखी हुई हैं। ऐसी ही एक कहानी है-इराक में रहने वाले अब्दुल्ला की। अब्दुल्ला एक पंद्रह साल का लड़का था। वह एक गरीब परिवार का था और उसके लिए सब कुछ काला अक्षर भैंस बराबर था क्योंकि वह पढ़ा-लिखा नहीं था। लेकिन वह बहुत मेहनती और ताकतवर था। उसके लिए तो तीस किलोग्राम उठाना बाएँ हाथ का खेल था।
एक दिन जब अबदुल्ला अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसने दो हवाई जहाज देखे। उसे पता था कि ये हवाई जहाज गाँव पर बम्ब फेंकेगे। यह सोचकर उसका कलेजा दहेलने लगा। उसने अपने दोस्तों को बताया कि दो हवाई जहाज आ रहे हैं और वे सब छुप गए। उनको पता था कैसे बम्ब से अपनी रक्षा करनी थी। रास्ते में उन्होंने जिसको भी देखा वे उनसे कहने लगे कि दो हवाई जहाज आ रहे हैं। यह सुनकर सभी का रक्त सूख गया।
तभी हवाई जहाजों को थोड़ा नीचे आते देखकर मानो अब्दुल्ला की आँखें खुलीं | उसे याद आया कि क्या होने वाला था। उसे याद आया कि वह कैसे भागकर छुप गया और उसने कैसे अपने गाँव के बहुत से लोगों की मृत्यु अपनी आँखों के सामने होती देखी। वह फूट-फूट कर रोने लगा। फिर उसने कुछ आवाज़ें सुनीं, वह फिर से छुप गया। आवाज़ें सुन कर उसे लगा कि वह लोग उर्दू भाषा में नहीं, अंग्रेज़ी भाषा में बोल रहे थे। अब्दुल्ला ने सोचा कि यही वे लोग होंगे जिन्होंने गाँव पर बम्ब फेंके। उसे बहुत क्रोध आया। लेकिन वह लहू का घूँट पीकर रह गया। उसे पता था कि उसे यहाँ से भागना था, पर कैसे? उसके लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई थी।
अगली रात किसी तरह से बाल-बाल बचकर वह गाँव से बाहर चला गया। लेकिन अब वह कहाँ जाए? उसके पेट में चूहे कूद रहे थे। उसने कुछ खाने की सोची। परन्तु खाना तो कहीं नहीं था। वह सड़क से नहीं जा सकता था क्योंकि वहाँ तो सेना के लोग खड़े होंगे। उसे तो जंगल से जाना था। किसी भी तरह से उसे शहर पहुँचना था। पर यह तो बहुत मुश्किल लग रहा था।
जंगल में उसने किसी तरह से एक दिन बिताया। अब वह बहुत थक चुका था और हथियार डाल देने के लिए तैयार था पर फिर उसे एक बात याद आई। अपनी माँ की कहानियाँ जिनमें हार न मानने वाले लोग बहुत कुछ करते हैं। उसने सोचा कि अगर वह अब हार मान गया तो वह अपनी माता से कुछ नहीं सीखा, उसके सिर पर भूत सवार हो गया कि किसी भी तरह उसे शहर पहुँचना है।
वह चलता रहा और चलता ही रहा। एक दिन जब अब्दुल्ला ने कुछ सुना तो उसके कान खड़े हो गए। गाड़ी की आवाज़ आ रही थी, उसने भागकर देखा तो वहाँ एक शहर था। अब्दुल्ला फूला न समाया। शहर में उसे एक दम्पत्ति मिला। उन्होंने उसे खाना दिया और उसने उन्हें अपनी कहानी सुनाई। वे उसकी कहानी सुन चौंक गए। उन्होंने इस कहानी पर एक किताब लिख दी। लोगों ने जब अब्दुल्ला से प्रश्न पूछे तो उसने उनके प्रश्नों का मुँह तोड़ जवाब दिया। वह पुस्तक एक बेस्ट सैलर हो गयी और अमरीका में लोगों ने इस किताब को पढ़ा और वे इस किताब का विरोध करने लगे कि इराक में युद्ध न किया जाए।
एक अनपढ़ बच्चे ने हार न मानी और इससे इराक का कितना अच्छा हुआ! इसलिए कहते हैं कि हार न मानने से हम कुछ भी कर सकते हैं।
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