History, asked by pemnorbu6969, 1 year ago

Hindi story of tenali rama with raja krishnadevaraya chehra mat dikhana

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Answered by Ekansharora
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it is such a long story just search in Google

Answered by hero122234567
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महाराज कृष्णदेव राय की दिनचर्या थी कि वे सुबह-सुबह राज उद्यान में टहलने जाया करते थे और उस समय उनके साथ केवल तेनालीराम ही होते थे । इसी समय महाराज बहुत से गम्भीर निर्णय ले लिया करते थे, कई भविष्य की योजनाएं बना लिया करते थे, जिसकी खबर तेनालीराम को तो होती थी, किन्तु बाकी दरबारियों को कोई भी बात समय के साथ ही पता चलती थी ।

अत: कुछ दरबारियों ने सोचा कि महाराज के साथ तेनालीराम का घूमना बंद कराया जाए । अत: एक रात उन्होंने कुछ गायें लाकर राज उद्यान में छोड़ दीं । रात भर में गायों ने उद्यान को उजाड़कर रख दिया । अगले दिन महाराज भोर में अकेले ही वहां आए तो गायों को वहां चरता देख और उद्यान की उजड़ी हुई हालत देखकर वे आग-बबूला हो उठे ।

उन्होंने फौरन माली को तलब किया- ”ये गायें राज उद्यान में कैसे आईं ।” ”म…महाराज ।” सहमकर माली बोला- ”ये गायें तो तेनालीराम जी ने यहां छुड़वाई ओं ।” ”तेनालीराम ने?” महाराज को बड़ा आश्चर्य हुआ । इसी बीच अन्य दरबारी भी उद्यान में आ गए ।

मामले को समझते ही वे बोले- ”महाराज! दरअसल तेनालीराम को आप हर रोज अपने साथ घूमने के लिए बुला लेते हैं, इसी कारण क्रोधित होकर उसने ऐसा कदम उठाया होगा कि न उद्यान रहेगा, न आप घूमेंगे और न समय-असमय उन्हें बुलाएंगे ।”

महाराज को यह सुनकर बड़ा क्रोध आया । उन्होंने तुरन्त आदेश दिया कि उद्यान में हुए नुकसान के बदले तेनालीराम से पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं वसूली जाएं और इन गायों को राज्य की पशुशाला में भिजवा दिया जाए । दिन चढ़ते-चढ़ते ये खबर तेनालीराम तक भी जा पहुंची ।

तीन दिन तक वह दरबार में आए ही नहीं । तीन दिन बाद दरबार में आए । उनके साथ कुछ ग्वाले भी थे । तेनालीराम ने महाराज को प्रणाम किया और बोले: ”महाराज! मुझसे जुर्माना वसूल करने का आदेश देने से पहले आप कृपा कर इनकी बात सुन लें । उसके बाद ही मेरे बारे में कोई राय कायम करें ।”

”ठीक है ।” महाराज ग्वालों से मुखातिब हुए: ”क्या कहना चाहते हैं आप लोग ?” ”महाराज! आपके कुछ दरबारी हमसे हमारी गायें खरीदकर लाए थे, मगर उन्होंने आज चौथे दिन तक भी उन गायों की कीमत अदा नहीं की । हमारी महाराज से विनती है कि हमें हमारी गायों की कीमत दिलाई जाए ।”

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