hindi story pardha by yashapal summary in hindi?
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1928 में लाला लाजपत राय पर आक्रमण करने वाले सार्जेण्ट साण्डर्स को गोली मारी गयी। 1929 मार्च में भगत सिंह ने दिल्ली असेम्बली में बम फेंका। 1929 में लाहौर में एक बम फैक्ट्री पकड़ी गई। तनाव इतना बढ़ा कि यशपाल भूमिगत हो गये। कहते हैं 1929 में ही वायसराय की गाड़ी के नीचे क्रान्तिकारियों ने जो बम विस्फोट किया वह यशपाल के हाथों हुआ था।
जाहिर है कि यशपाल को लम्बे समय का भूमिगत जीवन बिताते हुए ‘‘हिन्दुस्तानी समाजवादी प्रजातन्त्र सेना’’ का काम सम्भालना पड़ा। 1931 में इस सेना के कमाण्डर इन चीफ चन्द्रशेखर आजाद को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में गोली मार दी गयी। यशपाल सेना के कमाण्डर इन चीफ बनाये गये इसी समय लाहौर षड्यन्त्र का मुकदमा चल रहा था। यशपाल उनके प्रधान अभियुक्त थे। 1932 में यशपाल और दूसरे क्रान्तिकारी भी गिरफ्तार हो गये। उन्हें चौदह वर्ष का सख्त कारावास हुआ। 1938 में कांग्रेसी मन्त्रिमण्डल आने पर राजनैतिक कैदियों की रिहाई हुई और यशपाल 2 मार्च 1938 को जेल से छूट गये। उन्हें लाहौर जाने की मनाही थी इसलिए लखनऊ को उन्होंने अपना निवास स्थान बना लिया। विप्लव का प्रकाश और उनके साहित्यिक जीवन के शुरुआत का यही काल है।
ध्यान देने की बात है कि ऊपर दिया गया है एक विहंगम विवरण यशपाल के महान समरगाथा जैसे जीवन का मात्र एक ट्रेलर है। जिसके अन्यत्र अन्तर मार्गों में न जाने कितना कुछ ऐसा होगा, जिसमें भावात्मक और संवेदनात्मक तनावों के साथ वास्तविक अनुभवों के एक विराट संसार छिपा होगा—चरित्रों और घटनाओं की विपुलता के साथ मानवीय प्रकृति के बारीक अनुभवों के उल्टे-सीधे तन्तुओं का महाजाल फैला होगा जो उनके विशाल कहानी साहित्य में फैला हुआ है।
हमारे लिए उनके कथा-संकलनों को कुछ एक भागों में संकलित करते हुए अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा अन्ततः निश्चय यह हुआ कि 1939 से 1979 के बीच प्रकाशित उनके 18 कथा संकलनों को काल-क्रमानुसार चार भागों में बाँट कर प्रकाशित किया जाय। कथा साहित्य के मर्मज्ञ आलोचकों और विद्वानों ने भी इसी को उचित बताया। इससे उनके रचनात्मक विकास का एक सम्पूर्ण चित्र हिन्दी पाठकों को प्राप्त हो सकेगा। इन संकलनों के बारे में आपके सुझाव और सम्मति की हमें सदा प्रतीक्षा रहेगी।